राष्ट्रपति ने कहा है, भारत 1.2 बिलियन रचनात्क व्यक्तियों का देश है। इन व्यक्तियों के सकारात्मक उपयोग से भारतीय समाज आज की अनेक समस्याओं से मुक्ति पा सकता है
राष्ट्रपति भवन : 30.11.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आईआईएम,अहमदाबाद, गुजरात में आज (30 नवम्बर, 2015) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा स्थापित डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम इग्नाइट अवार्ड्स-2015 प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत 1.2 बिलियन रचनात्मक व्यक्तियों का देश है। इन बिलियन व्यक्तियों के सकारात्मक उपयोग से आज हम भारतीय समाज की अनेक समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। हममें से प्रत्येक व्यक्ति को निजी तौर पर समाज और देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने आई आई एम- अहमदाबाद के संकाय, छात्रों और भूतपूर्व छात्रों से उद्योगों, व्यवसाय, उद्यमियों, समाज के नेताओं और जमीनी सतह पर कार्य करने वाले रचनात्मक व्यक्तियों के साथ जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संस्थान आज के समाज के विरोधी दबाव वाले मामलों को सुलझाएं। इसे ज्ञान दीप स्तंभ की तरह संघर्ष करना चाहिए। इसे उदार संरक्षण द्वारा अन्य संस्थाओं को शिक्षित करना चाहिए और एक ऐसी संस्कृति बनानी चाहिए जो उत्कृष्टता और निष्पादन की मुहिम को सहयोग और संवेदना से जोड़ दे।
राष्ट्रपति ने कहा कि नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन और आईआईएम-अहमदाबाद ने भारतीय समाज नवाचार मॉडल को वैश्विक पहचान प्रदान की है। उन्होंने ऊर्जा और संसाधनों को लगातार निवेश करने के लिए संस्थान को प्रोत्साहित किया जिससे राष्ट्र की आर्थिक प्रगति हो और सतत समावेशी समाज बनने में तीव्रता आए। राष्ट्रपति ने कहा, नवाचार आर्थिक विकास की कुंजी है और यह उभरती आवश्यकताओं और चुनौतियों के उत्तर में राष्ट्र और समाज की परिपक्वता को दर्शाती है। यह एक सतत प्रक्रिया है और इसे प्रत्येक कदम पर बनाए रखने की आवश्यकता है। समाज के अधिकतम लाभ के लिए नवाचार, उच्चतर शिक्षा और उद्योग की निकटता से नेटवर्किंग होनी चाहिए। किसी नवाचार को चाहे वह जमीनीस्तर की हो या उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं से संबंधित हो,नवाचार के वाणिज्यिकरण के लिए उद्योग से जोड़ा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के बच्चों ने साबित किया है कि नवाचार की भावना किसी भी हद तक जड़ता को दूर कर सकती है और नई उत्साहभरी संभावनाएं उसका स्थान ले सकती हैं। वे भविष्य के प्रति आशावादी हो जाते हैं,जब वे देखते हैं कि युवा पीढ़ी अनसुलझी समस्याओं के साथ अनिश्चयपूर्वक नहीं रहना चाहती। रचनात्मक युवाओं से नवाचार ‘‘संवेदना से सृजनशीलता’’ (दया और संवेदना से नवाचार) का सर्वोत्तम उदाहरण है।
यह विज्ञप्ति 18:18 बजे जारी की गई।