राष्ट्रपति भवन : 31.05.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (31 मई, 2013) पुणे में रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान के सातवें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक राजव्यवस्था तथा बहुलवादी समाज को सशक्त करने में हमारी सशस्त्र सेनाओं का अनन्य योगदान है। उन्होंने कहा कि भारत एक स्थिर तथा नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहता है। उन्होंने कहा कि किसी भी आधुनिक सशस्त्र बल का, ज्ञान आधारित शक्ति होना अनिवार्य है। रक्षा तैयारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक प्रयोग आज की जरूरत है। डोमेन संबंधी ज्ञान तथा नवान्वेषण के माध्यम से क्षमताओं के विकास और प्रणालियों को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नीति निर्माण को अधिक प्रति-संवेदी होना चाहिए ताकि उसके द्वारा समस्याओं की पहचान की जा सके, रुझानों का पता लगाया जा सके, परिदृश्य विकसित किए जा सकें तथा नीति विकल्प सुझाए जा सकें, जिससे किसी प्रकार के संकट को टाला जा सके। उन्होंने कहा कि इसलिए हमारे देश में ऐसे संस्थानों का पूल होना चाहिए जो कि हमारी रक्षा प्रणालियों की प्रौद्योगिकीय क्षमताओं में वृद्धि तथा रक्षा और सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में ज्ञान को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित हों। उन्होंने कहा कि एक विशेषज्ञ रक्षा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रूप में, हमारी रक्षा अवस्थापना की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत ज्ञान के सृजन में रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
यह विज्ञप्ति 1830 बजे जारी की गई।