राष्ट्रपति जी ने राज्यपालों/उपराज्यपालों से कहा कि वे सहयोगात्मक संघवाद को सच्चाई में बदलें
राष्ट्रपति भवन : 12.02.2015

46वें राज्यपाल सम्मेलन का आज (12 फरवरी 2015) को राष्ट्रपति भवन में समापन हुआ।

अपने समापन उद्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों और उप राज्यपालों की सहयोगात्मक संघवाद को सच्चाई में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। वे सभी सार्वजनिक जीवन में भारी अनुभवन प्राप्त व्यक्ति हैं। हमारे सांविधानिक ढांचे में वे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे संविधान के रक्षक के रूप में तथा संघ के साथ संपर्क की जीवंत कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे केन्द्र और राज्यों के बीच साझीदारी को मजबूत बनाने में सकारात्मक योगदान दें।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों/उपराज्यपालों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला प्राधिकार नैतिक संकल्पना पर आधारित है तथा जब तक उस प्राधिकार का प्रयोग संविधान की सीमाओं तक सीमित है तब तक उनकी भूमिका में किसी कटौती की उन्हें संभावना नहीं दिखाई पड़ती।

राष्ट्रपति ने आंतरिक सुरक्षा तंत्र में राज्यपालों को सक्रिय रूप से शामिल करने के केन्द्रीय गृह मंत्री के सुझाव की प्रशंसा की और उनसे अनुरोध किया कि वे समान समस्याओं वाले राज्यपालों के समूहों के साथ अलग-अलग बैठकें करें अर्थात् पूर्वोत्तर राज्य, तटवर्ती राज्य, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं वाले राज्य तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्य। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रक्षा मंत्री भी इसी प्रकार सीमा और सुरक्षा मुद्दों पर केद्रिंत चर्चा में अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले राज्यों के राज्यपालों को शामिल कर सकते हैं।

राष्ट्रपति जी को यह जानकर खुशी हुई कि प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों सहित आठ केन्द्रीय मंत्री हर पखवाड़े अपने विभागों से संबंधित कार्यों की समीक्षा करने तथा उस क्षेत्र में हो रहे महत्वपूर्ण समारोहों में भाग लेने के लिए पूर्वोत्तर की यात्रा करेंगे। उन्होंने यह इच्छा व्यक्त की कि पूर्वी राज्यों, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में सक्रिय सहभागी बनें तथा उन्होंने विदेश मंत्री से अनुरोध किया कि वे इस नीति के महीन पहलुओं से अवगत कराने के लिए इन राज्यों के राज्यपालों के साथ अलग से बैठकें करें।

देश के रूपांतर में शिक्षा के महत्व का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि आने वाले वर्षों में शिक्षा पर होने वाले सकल घरेलू उत्पाद के 3.8 प्रतिशत व्यय को धीरे-धीरे सकल घरेलू उत्पाद के 6 प्रतिशत तक बढ़ाने की संभावना पर विचार करें। उन्होंने कौशल विकास तथा तथा उद्यमिता मंत्रालय से तथा सभी केन्द्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों से आग्रह किया कि वे वर्ष 2012 तक 500 मिलियन भारतवासियों को कौशल तथा उच्च कौशल प्रदान करने के लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान के योग्य बनाने के लिए राज्यपालों के साथ समन्वय सुनिश्चित करें।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य जनता की सहभागिता और गैर सरकारी संगठनों तथा आवासी कल्याण एसोसियेशनों के सहयोग के बिना प्राप्त नहीं किए जा सकते, राष्ट्रपति ने राज्यपालों और उप राज्यपालों से आग्रह किया कि वे अपने राज्यों/संघ क्षेत्रों में स्वच्छता के संदेश फैलाएं तथा यह सुनिश्चित करें कि हम स्वच्छ भारत का लक्ष्य 2019ए अर्थात् महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती तक प्राप्त कर लें।

समापन सत्र को प्रधानमंत्री ने भी संबोधित किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन की कार्यसूची की मदों में (क) सुरक्षा - अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा पर विशेष बल सहित आंतरिक और बाह्य सुरक्षा (ख) वित्तीय समावेशन, रोजगार सृजन तथा रोजगार योग्यता - कौशल विकास कार्यक्रम को प्रभावी बनाना (ग) स्वच्छता - महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती पर 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य की प्राप्ति (घ) भारत के संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची से संबंधित मुद्दे तथा उत्तर-पूर्व क्षेत्रों के विकास संबंधी, मुद्दे पर शामिल थे।

इस सम्मेलन में 21 राज्यपालों और 2 उपराज्यपालों ने भाग लिया।

यह विज्ञप्ति 18:15 बजे जारी की गई।

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