राष्ट्रपति जी ने राज्यपालों को नव-वर्ष के अपने संदेश में कहा कि वर्ष 2015 का वर्ष शांति, प्रगति और सौहार्द का वर्ष होना चाहिए
राष्ट्रपति भवन : 10.01.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 जनवरी, 2015) राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का उपयोग करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रपति भवन से राज्यपालों/उपराज्यपालों को नव-वर्ष का संदेश दिया।

राज्यपालों/उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गत वर्ष महत्त्वपूर्ण रहा है। तीन दशक बाद, आम चुनाव 2014ने केंद्र में एक अकेले दल को स्पष्ट बहुमत तथा सुशासन के आदेश के साथ एक स्थाई सरकार प्रदान की। हमारे देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने तथा विश्व समुदाय में भारत को उसके उचित स्थान पर प्रतिष्ठापित करने में मार्गदर्शन के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इस जिम्मेदारी को बांटना होगा।

राष्ट्रपति जी ने उन्हें याद दिलाया कि राज्यपाल के रूप में वे अपने-अपने राज्यों के प्रथम नागरिक हैं। उन्होंने संविधान से अपना प्राधिकार प्राप्त किया है तथा उन्होंने संविधान की रक्षा, संरक्षण तथा हिफाजत और राज्य की जनता के कल्याण के लिए काम करने के लिए शपथ ली है। भारत के पंथनिरपेक्ष,लोकतांत्रिक ढांचे की संविधान में गारंटी दी गई है। इसकी उद्देशिका में इसके सभी नागरिकों को ‘विचार, अभिव्यक्ति,विश्वास, धैर्य और उपासना’ की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की उद्घोषणा की गई है। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 19 से 28 के द्वारा उनकी गारंटी दी गई है। संविधान सभी धर्मों का सम्मान करता है। हमें अमन और चैन में व्यवधान के सभी प्रयासों के प्रति हर समय सतर्क रहना होगा। बहुलवाद का सम्मान,तथा समाज के सभी वर्गों के बीच सहिष्णुता और आपसी समझ के संवर्धन के द्वारा सांविधानिक दायित्वों को पूरा करने की दिशा में कार्यों का मार्गदर्शन होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपालों पर पांचवीं और छठी अनुसूची क्षेत्रों के विकास की जिम्मेदारी है। वामपंथी उग्रवाद के अभिशाप को विकास तथा निवारण की द्वीसूत्री कार्यनीति द्वारा सुलझाया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं वाले राज्यों और संघ क्षेत्रों के राज्यपालों और उपराज्यपालों के सामने सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा एक बड़ी समस्या है। जहां भारत शांति एवं अहिंसा के प्रति वचनबद्ध है, हम अपनी सीमाओं पर असावधान रहने का जोखिम नहीं उठा सकते। नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का बार-बार उल्लंघन तथा हमारी समुद्री रेखा के अतिक्रमण की हालिया घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। हमें आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता की हिफाजत करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है। मजबूत शिक्षा प्रणाली किसी भी प्रबुद्ध समाज की आधारशिला होती है। उन्होंने राज्यपालों का आह्वान किया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए शिक्षण संस्थानों पर विशेष ध्यान दें कि वे गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करें तथा देशभक्ति, करुणा, ईमानदारी, सहिष्णुता,दायित्वों का निर्वाह तथा महिलाओं का सम्मान जैसे मूलभूत सभ्यतागत मूल्यों का समावेश करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन,सांसद आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, भारत में निर्माण अभियान तथा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम जैसी महत्त्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ किया गया है। इन पहलों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए राज्यपालों के बौद्धिकतापूर्ण नेतृत्व तथा उनका सौम्य प्रभाव जरूरी है। बदलाव की इस प्रक्रिया में उनकी आग्रह की शक्ति प्रेरणा का कार्य कर सकती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे बदलाव की प्रक्रिया में योगदान दें।

यह विज्ञप्ति 13:50 बजे जारी की गई

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