राष्ट्रपति जी ने कहा, नेता जी का जीवन और बलिदान भावी पीढ़ियों के लिए प्रकाश स्तंभ के समान हैं
राष्ट्रपति भवन : 23.01.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि नेताजी का जीवन और बलिदान भावी पीढ़ियों के लिए प्रकाश स्तंभ के समान हैं।

राष्ट्रपति ने नेताजी की 118वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में आज कोलकाता में आयोजित समारोह के अवसर पर नेताजी अनुसंधान ब्यूरो, कोलकाता को एक संदेश में उक्त बात कही। राष्ट्रपति का संदेश प्रो. श्रीमती कृष्णा बोस, अध्यक्ष,नेताजी अनुसंधान ब्यूरो द्वारा श्रेताओं के सम्मुख पढ़ा गया था। नेताजी अनुसंधान ब्यूरो द्वारा जन्म जयंती के तहत ‘एशिया इन बंगाल एंड बंगाल इन एशिया’ पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया।

अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि,नेताजी के जन्म दिवस के अवसर पर नेताजी और उनके संदेश की समसामयिक प्रासंगिकता पर विचार करना उपयुक्त है। नेताजी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि अपने देश को सुदृढ़, समृद्ध और प्रगतिशील बनाने के लिए समर्पित होकर कार्य करना होगा- जिसके लिए नेताजी ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया- ताकि यह एक दिन विश्व की एक महान शक्ति बन सके।

उन्होंने हमारे राष्ट्रीय आह्वान के रूप में देश के युवाओं से इत्तेफाक, इतमाद,कुर्बानी अथवा एकता, विश्वास, बलिदान के नारे को एक बार फिर अपनाने का आग्रह किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुभाष चंद्र बोस का विशिष्ट स्थान है। नेताजी को फरवरी, 1938 में ताप्ती नदी के तट पर हरिपुरा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 51वें अधिवेशन में सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना गया था। अधिवेशन में उनका अध्यक्षीय संबोधन दूरदृष्टि और तत्परता का अद्भुत नमूना था। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता की बात की थी बल्कि पुननिर्माण तथा एक योजना समिति की स्थापना द्वारा योजना निर्माण की आवश्यकता भी बताई थी। उन्होंने संपूर्ण कृषि और औद्योगिक प्रणाली के क्रमिक सामाजिकीकरण का आह्वान किया था। उन्होंने प्रतिनिधियों को याद दिलाया था कि ‘‘हमारी प्रमुख राष्ट्रीय समस्याएं निर्धनता, निरक्षरता और रोगों का उन्मूलन है।’’नेताजी ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस के सभी प्रधानों को यह सलाह देते हुए पत्र लिखा था कि उन्हें किस प्रकार अपने प्रांतों का संचालन करना चाहिए। इस पत्र में व्यक्त विचार हमारे संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित अध्याय में निहित सिद्धांतों के अग्रगामी थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि नेताजी का मानना था कि स्वतंत्र भारत, उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आर्थिक समानता और वैमनस्य की ओर भटकाए गए समुदायों के बीच सौहार्द द्वारा प्रेरित सामाजिक क्रांति के जरिए,॒उत्तर औपनिवेशिक दुनिया के लिए एक वैकल्पिक मॉडल बनेगा। सभी के लिए धर्म की स्वतंत्रता,लैंगिक समानता तथा आर्थिक न्याय से उत्प्रेरित भारत एक आधुनिक राष्ट्र बनेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह देखकर आश्चर्य होता है कि सुभाषचंद्र बोस ने अल्प समय में ही कितना कुछ हासिल किया और पूर्ण किया। नेताजी का संपूर्ण जीवन सेवा और बलिदान की कहानी है। वह कर्मयोगी के साथ-साथ विचारक भी थे। वह एक योद्धा और एक स्वाभाविक जननेता थे। उनके लेखन, असाधारण वक्तृत्व और आग्रहपूर्व तर्कों ने बहुत से प्रगाढ़ और वफादार अनुयायी तैयार कर दिए। उन्होंने अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए राष्ट्र सेवा के प्रति स्वयं को समर्पित करने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया। उनके गर्वपूर्ण और स्वतंत्र चेतना ने खराब स्वास्थ्य और कठिनाइयों की परवाह नहीं की। उन्होंने निर्वासन और जेल के जीवन को स्वाभाविक माना। उन्होंने हमारे देशवासियों से अपील की, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’

यह विज्ञप्ति 15:40 बजे जारी की गई।

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