राष्ट्रपति भवन : 11.11.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर आज (11 नवम्बर 2013) गंगटोक, सिक्किम में 40वें जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय विज्ञान, गणित तथा पर्यावरण प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस दिवस को एक महान स्वप्न द्रष्टा, स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान तथा प्रख्यात शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म दिवस मनाने के लिए आयोजित किया जाता है। उन्होंने याद दिलाया कि 16 जनवरी, 1948 को अखिल भारतीय शिक्षा पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना आजाद ने कहा था ‘‘हमें एक क्षण भी यह नहीं भूलना चाहिए कि यह प्रत्येक व्यक्ति का जनसिद्ध अधिकार है कि उसे कम से कम ऐसी बुनियादी शिक्षा प्राप्त हो जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर सकता।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण हमारे देश की प्रगति तथा समृद्धि की कुंजी है। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था ‘‘केवल वैज्ञानिक पद्धतियां ही मानवता को उम्मीद दे सकती हैं तथा दुनिया की पीड़ा को समाप्त कर सकती हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष की प्रदर्शनी का प्रमुख विषय ‘विज्ञान तथा समाज’ उन समस्याओं और मुद्दों पर ध्यान देने का मौका है जिनका आज समाज सामना कर रहा है। आज जरूरत है कि हमारे बच्चों को निर्बाध जनसंख्या की बढ़ोतरी तथा ऊर्जा संकट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, पर्यावरण प्रदूषण के संबंधों की जानकारी दी जाए। यह अत्यंत जरूरी है कि हमारे युवा विद्यार्थियों के मस्तिष्कों में विज्ञान एवं गणित के प्रति रुझान पैदा किया जाए जो कि भविष्य में इस देश के भावी वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकीविद् हैं।
राष्ट्रपति ने प्रदर्शनी के युवा प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे जीवन के पांच तत्वों: पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश तथा वायु को ऐसे तत्व मानें जो हमें विरासत में मिले हैं तथा जिन्हें हमें अगली पीढ़ी को सौंपना है। हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम केवल इसलिए उनको फिजूल खर्चें या प्रदूषित करें क्योंकि हम उनके मालिक नहीं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण भविष्य में विकास का संकेतक होगा। भारत ने वर्ष 2010-20 को नवान्वेषण के दशक के रूप में समर्पित किया है। इस वर्ष शुरू की गई विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति में जमीनी नवान्वेषकों का मार्गदर्शन करने की जरूरत बताई गई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनका यह सपना है कि भारत आने वाले वर्षों में एक ऐसी ज्ञान शक्ति बनकर उभरे जहां प्रत्येक भारतीय साक्षर हो तथा उसे वहनीय तथा गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त हो।
यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई।