राष्ट्रपति भवन : 26.08.2013
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 अगस्त, 2013) को देहरादून में पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अमरीका, चीन तथा रूस के बाद भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोग करने वाला देश है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की ऊंचे स्तर की खपत को बनाए रखने के लिए हमारे ऊर्जा संसाधन अपर्याप्त हैं। किसी भी अर्थव्यवस्था की ऊर्जा दक्षता की माप उसकी ऊर्जा गहनता होती है और इससे पता चलता है कि भारत में एक यूनिट सकल घरेलू उत्पाद के उत्पादन पर यू.के., जर्मनी, जापान, अमरीका जैसे देशों से कहीं ज्यादा ऊर्जा व्यय होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनता की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उच्च विकास दर प्राप्त करना हमारे सामने एक चुनौती है। इसके लिए उच्च ऊर्जा उत्पादन की और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए उपायों को ढूंढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें वैकल्पिक ऊर्जा मॉडलों की खोज करनी होगी जिससे परंपरागत संसाधनों पर हमारी निर्भरता कम हो। ऊर्जा सेक्टर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की अधिक गहनता आज की जरूरत है। नवान्वेषण के द्वारा, क्षमता विकास और प्रणालियों को मजबूत करने के लिए डोमेन ज्ञान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक ज्ञान का सृजन करने में पैट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय की, विशेषज्ञ ऊर्जा विश्वविद्यालय के तौर पर अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस विश्वविद्यालय में किए गए रोचक नवान्वेषणों को देखकर खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि इसे बहु-ईंधन चुल्हे के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है। उन्होंने विश्वविद्यालय का आह्वान किया कि वे बड़े पैमाने पर अनुसंधान और नवान्वेषण पर कार्य करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड ने हाल ही में भयंकर बाढ़ तथा भूस्खलन का सामना किया है जिससे बहुत से लोगों की मूल्यवान जानें चली गई। कई लोगों की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। उन्होंने लोगों के जीवन तथा उनकी उम्मीदों को फिर से पटरी पर लाने के लिए यथासंभव संसाधनों की समुचित व्यवस्था करने का आग्रह किया।
यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई।