राष्ट्रपति भवन : 24.08.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (24 अगस्त, 2014) पश्चिम बंगाल के पालसंडा कैथोलिक चर्च में आयोजित समारोह में दयाद्वार लघु अस्पताल का शिलान्यास किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि पालसंडा का कैथोलिक चर्च इस क्षेत्र के जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार 104 मिलियन जनजातीय लोग हैं और यह भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत हैं। जनजातीय लोग मातृत्व तथा बाल मृत्युदर, शिक्षा तक पहुंच तथा खेती योग्य जमीन के मामलों में शेष लोगों से पिछड़े हुए हैं। हमारे पंचवर्षीय योजनाओं में जनजातीय उप योजनाओं के होते हुए तथा काफी फंड के आबंटन के बावजूद उन्हें अभी भी विकास का पूर्ण लाभ मिलना बाकी है। ऐसा हमारी सुपुर्दगी तंत्रों में खामी के कारण है। उन्होंने कहा कि विकास की कमी असंतोष, उग्रवाद तथा हिंसा का कारण बनती है। ऐसी हिंसा हमारे संविधान के तथा ईश्वर की इच्छा के खिलाफ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान की हमारी राह में दोहरापन है। हमें अपने खनिज एवं वन संसाधनों का दोहन करने की जरूरत है परंतु यह प्राय: जनजातीय लोगों के विस्थापन तथा उखड़ने का कारण बनते हैं जो इन संसाधनों के सर्वोत्तम रक्षक हैं। जब लोगों को यह लगता है कि समुचित मुआवजा नहीं दिया गया है और पुनर्वास पैकेज नहीं दिए गए हैं तो कानून एवं व्यवस्था की समस्या खड़ी होती है। संविधान इस बात की गारंटी देता है कि जनजातीय लोगों की जमीन हस्तांतरित नहीं होनी चाहिए। परंतु जनजातीय लोगों की अज्ञानता तथा गैर जनजातीय लोगों के लालच के कारण यह अभी भी हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पालसांडा का कैथोलिक चर्च शिक्षा, सामाजिक कार्य तथ क्षेत्र की जनता की स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महती सेवा कर रहा है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि चर्च द्वारा पांच अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, अजीमगंज बंगाली माध्यम आवासीय स्कूल तथा अन्य आवासीय छात्रावास चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि यह चर्च सुधारगृहों के बंदियों के साथ कार्य कर रहा है तथा इसने हर एक पैरिश में एक औषद्यालय खोला है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मिशनरी समग्र विकास के प्रसार के लिए प्रयास कर रहे हैं न कि केवल शिक्षा के लिए। ‘मानव सेवा ईश्वर की सेवा है’ तथा ‘पड़ोसी से प्यार करो’ जैसे ईसाइयों के उपदेश भारत के सभ्यतागत मूल्यों को दोहराते हैं। उन्होंने सामुदायिक कल्याण के लिए चर्च प्रमुखों के अथक प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि उनके उदाहरणों से बहुत से अन्य लोगों को जनता, राष्ट्र तथा ईश्वर की सेवा से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में फादर कारलूस मुर्मू, कैथोलिक चर्च के पैरिश पादरी, पालसंडा, रेव. फादर निर्मल गोम्स, सेलेसियम प्रोविन्सियल ऑफ कोलकाता तथा फादर जॉन वैकथ, सहायक पैरिश पादरी, पालसांडा शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1410 बजे जारी की गई।