राष्ट्रपति भवन : 11.02.2015
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (11 फरवरी 2015) राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में 46वें राज्यपाल सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन में 21 राज्यपाल और दो उपराज्यपाल भाग ले रहे हैं।
इस सम्मेलन में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में प्रधानमंत्री, गृह, विदेश, वित्त, पेयजल और स्वच्छता, जनजातीय कार्य मंत्री; श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा उपाध्यक्ष, नीति आयोग शामिल थे।
सम्मेलन में अपने प्रारंभिक उद्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का संविधान वह मार्गदर्शक दस्तावेज है जो शासन के लिए ढांचा प्रदान करता है। हर भारतीय उसकी स्वतंत्रता, आजादी तथा समानता के गारंटीदाता के रूप में संविधान की ओर देखता है। संविधान में उल्लिखित सिद्धांतों और प्रावधानों में से किसी प्रकार के विचलन से देश का लोकतांत्रिक ताना-बाना कमजोर होगा तथा यह हमारे नागरिकों की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक खुशहाली को खतरा पैदा करेगा। राज्यपालों और उप राज्यपालों पर यह सुनिश्चित करने की बुनियादी जिम्मेदारी है कि राज्य और संघ क्षेत्रों के कामकाज पूरी तरह इस पावन दस्तावेज के अनुसार संचालित हों। शांति और सांप्रदायिक सौहार्द का परिवेश सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर-पूर्व का विकास एक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र है। इसकी अवसंरचना के विकास तथा पर्यटन की क्षमता के उपयोग के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। असम में जातीय हिंसा, खासकर बोडो और गैर-बोडो समुदाय के बीच फूट डालने की कुटिल चाल का, कारगर ढंग से जवाब दिए जाने की जरूरत है। विकास के लिए बोडो लोगों की उचित आकांक्षाओं का शीघ्रता से समाधान किया जाना चाहिए। परंतु जातीय घृणा के फैलाव को किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हम सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखने की नीति का अनुसरण करते हैं। हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित अथवा अन्य प्रकार के सभी विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से होना चाहिए।
अनुमान है कि विश्व में 56.5 मिलियन कुशल कामगारों की कमी के मुकाबले भारत में 47 मिलियन कामगारों की अधिकता के साथ 2025 तक यह विश्व का सबसे बड़ा कार्यबल होगा। जनसंख्या की यह बढ़त दुधारी तलवार के समान है। यदि उनकी भारी क्षमता का सदुपयोग हो सके तो वे प्रगति का शक्तिमान स्रोत बन सकते हैं। दूसरी ओर, यदि हम ऐसा नहीं कर पाते तो इससे सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है। हमारे युवा भावी सृजक,नवान्वेषक, निर्माता और नेता बन सकते हैं। परंतु वे केवल उपयुक्त शिक्षा से ही भविष्य में बदलाव ला सकते हैं। हमें अपनी इस बढ़त से फायदा उठाना चाहिए तथा कौशल, पुनर्कौशल तथा उच्चकौशल प्रदान करते हुए अपने युवाओं की रोजगारयोग्यता को बढ़ाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि निवेश में सुगमता प्रदान करने, नवान्वेषण को बढ़ावा देने तथा भारत को विश्वस्तरीय विनिर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए भारत में निर्माण अभियान की सफलता के लिए भी कौशल विकास महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि नए कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय द्वारा उपयुक्त कौशल विकास ढांचा विकसित किया जाएगा, कुशल श्रमशक्ति के लिए मांग और पूर्ति के अंतर को खत्म किया जाएगा, सरकारी-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा तथा युवा उद्यमिता शिक्षा का प्रसार किया जाएगा। उन्होंने राज्यपालों और उप राज्यपालों से अनुरोध किया कि वे इन पहलों को बढ़ावा देने के लिए हर अवसर का सदुपयोग करें तथा जन धन योजना के क्रियान्वयन के लिए प्ररेक भूमिका निभाएं।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि साठ प्रतिशत से अधिक ग्रामीण जनता के पास स्वच्छता सुविधाएं नहीं हैं या फिर वह इनका प्रयोग नहीं करते राष्ट्रपति ने कहा कि हमें नवान्वेषी उपायों के जरिए वहनीयता तथा मानसिकता जैसे समस्यात्मक क्षेत्रों पर कार्य करते हुए इस स्थिति को पलटना होगा। लाभों को कारगर ढंग से पहुंचाने के लिए, स्वच्छ भारत मिशन को प्रत्येक गांव और वार्ड तक विस्तार देने हेतु राज्यों और संघ क्षेत्रों को समुचित प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए। राज्यपालों और उप राज्यपालों को अपने प्रेरणा कौशल का प्रयोग करते हुए इस सराहनीय उद्देश्य की प्राप्ति में योगदान देना चाहिए।
संविधान की पांचवीं अनुसूची से संबंधित मुद्दों पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने राज्यपालों से आह्वान किया कि वे इन विकास कार्यक्रमों को कारगर ढंग से लक्षित करने के लिए आपको, शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए, इन पर नजदीक से नजर रखें।
राष्ट्रपति ने कहा कि असम, मेघालय, मिज़ोरम तथा त्रिपुरा में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्थापित स्वायत्त परिषदों/स्वायत्त जिला परिषदों को विधिक, कार्यकारी, वित्तीय तथा न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। इन राज्यों के राज्यपालों को इन क्षेत्रों के प्रशासन में केंद्रीय भूमिका निभानी है। शक्तियों के विकेंद्रीकरण की दिशा में, ग्राम तथा नगरपालिका परिषदों का गठन करके चुनाव करवाए जाने चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सरकार का, इन क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए, छठी अनुसूची में संशोधन का प्रस्ताव है। इन क्षेत्रों को और अधिक विकास निधि स्थानांतरित करने की भी जरूरत है। उनमें मौजूदा कानूनों को भी संहिताबद्ध करने की जरूरत है।
इस दो दिवसीय राज्यपाल सम्मेलन की कार्यसूची में (क) सुरक्षा - अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा पर विशेष बल सहित आंतरिक और बाह्य सुरक्षा (ख) वित्तीय समावेशन, रोजगार सृजन तथा रोजगारयोग्यता—कौशल विकास कार्यक्रम को प्रभावी बनाना (ग) स्वच्छता - महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती पर 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य की प्राप्ति (घ)भारत के संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची से संबंधित मुद्दे तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के विकास संबंधी मुद्दे शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 11:20 बजे जारी की गई।