प्रथम विश्वयुद्ध में भारत के योगदान पर शताब्दी स्मारक प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान आगंतुक पुस्तिका में राष्ट्रपति जी द्वारा लिखी गई टिप्पणी
राष्ट्रपति भवन : 10.03.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 मार्च 2015) भारतीय सैनिकों के बलिदान तथा वीरता को प्रदर्शित करते हुए, प्रथम विश्वयुद्ध में भारत के योगदान पर शताब्दी स्मारक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने आगंतुक पुस्तिका में निम्न टिप्पणी भी दर्ज की:

‘प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अनजानी धरती पर, अनजाने दुश्मनों से मुकाबला करते हुए, विभिन्न अनजानी संस्कृतियों के बीच,भारतीय सैनिकों द्वारा दिया गया बलिदान वास्तव में प्रशंसनीय है। चार वर्षों से अधिक की अवधि के दौरान डटे रहना तथा अपने मनोबल को बनाए रखना भारतीय सैनिक मूल्यों के बिना संभव नहीं हो सकता था। युद्ध के मैदान में भारतीयों द्वारा दर्शाई गई अतुलनीय वीरता की गाथा ने युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों की जीत सुनिश्चित की।

सत्तर हजार से अधिक शहीदों तथा उतने ही अंगविहीन और घायलों के साथ इन भारतीय सैनिकों ने भारतीय सशस्त्र बलों के भावी योद्धाओं के लिए एक स्थाई मिसाल छोड़ी है। यह शताब्दी स्मारक भारतीय सैनिकों द्वारा दिए गए व्यक्तिगत तथा सामूहिक बलिदानों की उपयुक्त सराहना है। मैं भारतीय सेना की उनके उत्तम प्रयासों के लिए सराहना करता हूं।’

राष्ट्रपति ने कल (09 मार्च 2015) अमर जवान ज्योति (इंडिया गेट, नई दिल्ली) पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए शताब्दी स्मारक समारोहों का उद्घाटन किया।

समारोह के बाद उन्होंने आगंतुक पुस्तिका में निम्न टिप्पणी दर्ज की:-

‘‘प्रथम विश्वयुद्ध के स्मारक समारोहों के अवसर पर, मैं अपने देशवासियों के साथ भारत माता के उन वीर एवं बहादुर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए अपना बलिदान दिया। मुझे विश्वास है कि हमारा महान देश इन वीरों के बलिदानों से प्रेरणा लेता रहेगा’’।

यह विज्ञप्ति 17:00 बजे जारी की गई।

समाचार प्राप्त करें

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
समाचार प्राप्त करें
The subscriber's email address.