म्यांमार के उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति जी से भेंट की
राष्ट्रपति भवन : 22.01.2015

महामहिम डॉ. साइ मॉक खाम, म्यांमार के उपराष्ट्रपति ने कल (21 जनवरी 2015)राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की। डॉ. खाम से वार्ता के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत म्यांमार के साथ अपने रिश्तों को महत्व देता है। भारत और म्यांमार के बीच धर्म,भाषा तथा जातीय संबंधों की साझी विरासत मौजूद है। म्यांमार के भारत की सीमा से जुड़ा अकेला आसियान देश होने के नाते, यह दक्षिण पूर्व एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जिसके साथ भारत और अधिक आर्थिक एकीकरण चाहता है,की ओर भारत का दरवाजा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में वर्षों के दौरान तेजी से वृद्धि और व्यापकता आई है। भारत,भारत और म्यांमार के बीच सहयोग को बढ़ाना चाहता है। भारत एक शांतिपूण,स्थिर और आर्थिक रूप से परस्पर जुड़े हुए पड़ोस के निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध हैं क्योंकि यह क्षेत्र के समग्र विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक है। भारत इस क्षेत्र तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर म्यांमार द्वारा निभाई जा रही बढ़ी हुई भूमिका का स्वागत करता है। उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की सफल अध्यक्षता के लिए म्यांमार सरकार को बधाई दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने हमेशा यह माना है कि इसका विकास तब तक संपूर्ण और सतत नहीं हो सकता जब तक यह अपने नजदीकी पड़ासियों के साथ उपयोगी साझीदारियां नहीं करता है। भारत सीमा क्षेत्र विकास पर समझौता ज्ञापन के अंतर्गत पांच वर्षों तक 5 मिलियन अमरीकी डॉलर वार्षिक की सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसने 4.5 मिलियन अमरीकी डॉलर की राशि पहले ही म्यांमार को जारी कर दी है। राष्ट्रपति ने कहा कि कलादन परियोजना तथा संबद्धता परियोजनाओं सहित सभी द्विपक्षीय विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-म्यांमार द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है और आज भारत म्यांमार का चौथा विशालतम व्यापारिक साझीदार है और अधिकतर व्यापार संतुलन म्यांमार के पक्ष में है। तथापि, यह क्षमता से काफी कम है और संबंधों की घनिष्ठता को प्रतिबिम्बित नहीं करता है। भारतीय कंपनियां ऊर्जा, विद्युत, निर्माण, बैंकिंग, बीमा आदि जैसे संभावनापूर्ण क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और संसाधन म्यांमार लाने के लिए उत्सुक हैं।

राष्ट्रपति ने म्यांमार सरकार द्वारा लोकतंत्रीकरण, सशस्त्र जातीय समूहों के साथ राष्ट्रव्यापी युद्धविराम की वार्ता, आर्थिक विकास तथा शांति और स्थिरता के विकास के लिए शुरू किए ऐतिहासिक सुधारों का स्वागत किया। उन्होंने सभी जातीय राष्ट्रीयताओं की आकांक्षाएं पूरा करने के लिए समावेशी तरीके से शांति और राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया को आगे बढ़ाने हेतु म्यांमार सरकार को बधाई दी। उन्होंने राष्ट्रव्यापी युद्धविराम के सफल समापन तथा जातीय राज्यों में शांति और स्थिरता की स्थापना की दिशा में कार्य के लिए भारत सरकार की शुभकामनाएं और सहयोग भी व्यक्त किया।

राष्ट्रपति के प्रत्युत्तर में,म्यांमार के उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनकी लम्बे समय से भारत की यात्रा करने की इच्छा रही है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के समूचे इतिहास में सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं तथा उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान एक दूसरे की मदद की है। म्यांमार सरकार विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य देखभाल के अंतर्गत प्रदत्त सहायता तथा देशभर की अनेक परियोजनाओं के लिए ऋण सुविधा के लिए भारत की आभारी है। उन्होंने म्यांमार में विभिन्न अवसर खोजने के लिए भारतीय कारोबार समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रपति से अनुरोध किया।

यह विज्ञप्ति 11:25 बजे जारी की गई।

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