राष्ट्रपति भवन : 05.12.2013
म्यांमार के 23 सदस्यीय संसदीय शिष्टमंडल ने अम्योथा हलुत्ताव (उच्च सदन) के अध्यक्ष, महामहिम यू खिन आँग मिंट ने आज (05 दिसंबर, 2013) को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में, भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
शिष्टमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और जापान के रिश्ते हमारे इतिहास में निबद्ध हैं तथा हमारे लोगों की कई पीढ़ियों ने मिल-जुलकर यात्रा की है, एक साथ रहे हैं तथा एक साथ कार्य किया है। दोनों देशों के साझा सांस्कृतिक, धार्मिक, व्यावसायिक तथा व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। इन रिश्तों को मजबूत करना हमारे आपसी हित में है। दोनों संसदों की, हमारी जनता के आपसी हित के लिए सहयोग को दिशा देने और सहयोग करने में महती भूमिका है। भारत हरसंभव तरीके से म्यांमार के प्रयासों में सहयोग के लिए तत्पर है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्ष के दौरान म्यांमार के साथ कई उच्च स्तरीय आदान-प्रदान हुए हैं। जनता के प्रतिनिधियों के बीच इस तरह के आदान-प्रदान से आपसी समझ बढ़ाने तथा मैत्री को प्रगाढ़ करने में सहायता मिलती है।
म्यांमार के संसदीय शिष्टमंडल के नेता ने भारत एवं म्यांमार की शुरुआती पीढ़ी के नेताओं के बीच प्रगाढ़ संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा कि जब जनरल आँग सान की हत्या हुई थी तो प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे संपूर्ण एशिया की क्षति बताया था। बहुदलीय लोकतंत्र को पुनर्जीवित कर रहे म्यांमार को भारत से बहुत कुछ सीखना है। भारत ने संसदीय मामलों में सहायता और प्रशिक्षण देकर ‘भ्रातृत्व की भावना’ दिखाई है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच लम्बी जमीन और समुद्री सीमा के बावजूद इन सीमाओं पर कहीं भी दोनों देशों के बीच कोई समस्या नहीं आई है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि इस शिष्टमंडल की भारत की यात्रा से दोनों देशों के संबंध और उन्नत होंगे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।