राष्ट्रपति भवन : 20.02.2015
भारतीय प्रशासन सेवा पाठ्यक्रम चरण-I के 2014 बैच के भारतीय प्रशासन सेवा के 183 परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने, जिसमें रॉयल भूटान सिविल सेवा के 3 अधिकारी प्रशिक्षणार्थी भी शामिल थे, आज (20 फरवरी, 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इन परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इन युवा अधिकारियों से मिलने का अवसर पाकर बहुत खुशी हो रही है,जो अगले तीन दशकों से अधिक की अवधि के दौरान देश के भविष्य का संचालन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के समय से ही भारतीय प्रशासन सेवा के कई ऐसे अधिकारी हुए हैं जिन्होंने अपनी शानदार सेवा के द्वारा देश पर एक छाप छोड़ी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्षों के दौरान देश के विकास में भारी विस्तार तथा बदलाव देखने को मिला है। जैसे-जैसे युवा अधिकारी अपनी सेवा में तरक्की करेंगे, उनको नई-नई चुनौतियों का सामना करना होगा। इनसे कारगर ढंग से निपटने के लिए उन्हें सक्रिय, नवान्वेषी तथा प्रतिसंवेदी होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की विशाल जनसंख्या उनसे परिणाम की तथा उनके लिए बनाए गए कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के पर्यवेक्षण की अपेक्षा करती है। उन्होंने युवा अधिकारियों को सलाह दी कि उन्हें समाज के निर्बल वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए अपना दायित्व निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे सदैव महात्मा गांधी का यह मंत्र याद रखें : ‘‘जब भी आप किसी संदेह में हों और जब आप कुछ ज्यादा ही स्व-केंद्रित हो जाएं, तब आप ऐसे सबसे निर्धन और सबसे निर्बल व्यक्ति का चेहरा याद करें जिसे आपने कभी देखा हो और फिर खुद से पूछें : क्या आपके द्वारा प्रस्तावित कदम उसको किसी प्रकार का फायदा पहुंचाएगा? क्या उसे इससे कुछ प्राप्त होगा? क्या इससे उसे अपने जीवन और भविष्य पर नियंत्रण मिल पाएगा? दूसरे शब्दों में,क्या इससे भूख और आध्यात्मिक क्षुधा से पीड़ित लाखों लोगों को ‘स्वराज’ प्राप्त होगा? तब आपको अपना संदेह और ‘स्व’ विलीन होते नजर आएंगे’’।
ये परिवीक्षाधीन 14 से 20 फरवरी, 2015 के दौरान संसदीय अध्ययन एवं प्रशिक्षण ब्यूरो में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दिल्ली आए हुए हैं।
यह विज्ञप्ति 17:50 बजे जारी की गई