राष्ट्रपति भवन : 18.02.2015
रायल ऑडिट अथॉरिटी ऑफ भूटान के दो अधिकारी प्रशिक्षार्थियों सहित भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा के 24 अधिकारी प्रशिक्षार्थियों के समूह ने आज (18 फरवरी 2015)भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
अधिकारी प्रशिक्षार्थियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लेखापरीक्षा और लेखा सेवा हमारे देश में अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाओं में से है तथा उसका महत्वपूर्ण इतिहास है। सबसे पहले 1858में एक महालेखाकार का सृजन हुआ था। इसके बाद गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत इसे भारत के महालेखापरीक्षा के रूप में नया नाम दिया गया था। आजादी के बाद के संविधान के तहत इसे नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संविधान में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षा की एक स्वतंत्र प्राधिकारी के रूप में परिकल्पना की गई है। संविधान में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को कार्यपालिका पर नजर रखने में सहायता देने का दायित्व सौंपा गया है। हमारे संसदीय लोकतंत्र में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक व्यय में त्रुटियों और व्यतिरकों को इंगित करते हुए विधायिका को सलाह देता है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर संविधान सभा में व्यापक चर्चा हुई थी तथा यह प्रावधान किया गया था कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को केवल महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है। वर्षों के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति,विषयवस्तु तथा आकार में व्यापक बदलाव आया है तथा इसके लिए यह अपेक्षित है कि यह सेवा अपने अधिकारियों के कौशल में निरंतर उन्नयन करती रहे। उन्होंने इन अधिकारियों को उनकी आजीविकाओं के लिए शुभकामनाएं दी और उनसे उच्चतम पेशेवराना मानदंडों को बनाए रखने के लिए कहा।
ये अधिकारी प्रशिक्षार्थी इस समय राष्ट्रीय लेखा अकादमी, शिमला में अपना व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 17:00 बजे जारी की गई।