राष्ट्रपति भवन : 15.06.2014
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 जून, 2014) पुणे में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में दीक्षांत व्याख्यान दिया। उन्होंने संस्थान के शैक्षिक परिसर और एक नवान्वेषण प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान ने मानव जीवन की उन्नति में प्रमुख भूमिका निभाई है। प्रौद्योगिक प्रगति के लिए इसका अध्ययन आवश्यक है। हमारे राष्ट्र को एक ज्ञान आधारित समाज की ओर अग्रसर करने के लिए विज्ञान शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया गया है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान वैज्ञानिक ज्ञान ने देश को अग्रणी बनाने के प्रयासों की परिणति है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीयकरण तथा सर्वोच्च वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग, विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति तथा विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने पर निरंतर ध्यान दिया जाना चाहिए। चुनिंदा क्षेत्रों में हमारे संस्थानों की प्रमुख क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि हमारे संस्थानों के उन्नत अनुसंधान की ओर झुकाव में कभी कोई अड़चन नहीं आने दी जानी चाहिए। उन्हें विशेषकर ऊर्जा, पर्यावरण और स्वास्थ्य के बहुविधात्मक क्षेत्रों में नूतन और अग्रणी अनुसंधानों की पहचान करके उन्हें शुरू करना चाहिए। उन्हें विख्यात अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग स्थापित करना चाहिए जिससे वे अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान के लिए उपलब्ध निधि का फायदा उठा सकें। उन्हें नवान्वेषण को बढ़ावा देना चाहिए तथा जन साधारण के सीधे-सरल विचारों के पल्लवन के आधार के रूप में कार्य करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने यह भी उल्लेख किया कि शैक्षिक क्षेत्र में हमारे संस्थानों और अन्य भागीदारों को गुणवत्तापूर्ण उच्चीकरण के विविध लक्ष्यों को कार्यान्वित करने के लिए अपने यहां आवश्यक सक्रिय प्रणालियां निर्मित करनी चाहिए। इसके लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों में ऐसे ढांचे की जरूरत है जो लचीला, निगरानी योग्य और पारदर्शी हो। इससे शीघ्र निर्णय में सुविधा होगी तथा सर्जनात्मक प्रयासों में पर्याप्त सहयोग मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश को बड़ी संख्या में प्रतिभावान विज्ञान स्नातकों की आवश्यकता है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लाभकारी आजीविका हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार रहना चाहिए
यह विज्ञप्ति 1645 बजे जारी की गई।