राष्ट्रपति भवन : 16.10.2015
नीचे भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी की जॉर्डन, फिलस्तीन और इजराइल (10-15 अक्तूबर 2015 तक) की उनकी राजकीय यात्रा के समापन पर मीडिया के वक्तव्य का संपूर्ण प्रारूप है। यह वक्तव्य राष्ट्रपति की कल (15 अक्तूबर, 2015) तेलअवीव से नई दिल्ली वापसी के दौरान विमान पर दिया गया।
मैंने अभी-अभी 10-15 अक्तूबर, 2015 को जॉर्डन, फिलस्तीन और इजराइल की सफल राजकीय यात्राएं की हैं। मेरे शिष्टमंडल में श्री थावर चंद गहलोत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री तथा प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले छह सांसद, प्रो. के.वी. थॉमस, सुश्री मीनाक्षी लेखी,डॉ. सुभाष रामराव भामरे, श्री प्रताप सिंह, श्री विनोद चावड़ा और डॉ. अनुपम हाजरा शामिल थे। राष्ट्रपति भवन, विदेश मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्री, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के निदेशक तथा समूह नवाचार केंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय के निदेशक भी मेरे शिष्टमंडल में शामिल थे। जॉर्डन, फिलस्तीन और इजराइल की मेरी यात्राएं किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की पहली यात्राएं थीं। ये इस बात को दर्शाता है कि भारत इस क्षेत्र के देशों, जो हमारे विस्तृत पड़ोस हैं, के साथ साझीदारी को महत्व देता है। मैंने इस मौके पर हमारी सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में की गई पहल तथा द्विपक्षीय क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में सहयोग में वृद्धि की संभावना तलाशने के लिए इन देशों के नेतृत्व को संक्षिप्त विवरण दिया।
जॉर्डन
भारत के जॉर्डन के साथ घनिष्ठ, हार्दिक और सहृदयतापूर्ण संबंध हैं। हम महामहिम दिवंगत शाह हुसैन और शाह अब्दुल्ला द्वितीय के नेतृत्व की प्रंशसा करते हैं। जिन्होंने अनेक चुनौतियों के बावजूद जॉर्डन की निरंतर प्रगति सुनिश्चित की है। यात्रा के दौरान, मैंने जॉर्डन के महामहिम शाह अब्दुल्ला द्वितीय तथा प्रधानमंत्री अब्दुल्ला एनसोर के साथ बैठक कीं। उपप्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री नासिर एस जुदेह ने मुझसे मुलाकात की। हमने द्विपक्षीय संबंधों तथा परस्पर महत्व के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के व्यापक दायरे पर चर्चा की। मेरी सभी बैठकों में मैंने घनिष्ठ सहयोग के परस्पर हितों और घनिष्ठ सहयोग की वास्तविक गहरी आकांक्षा का महत्वपूर्ण संयोजन पाया।
हमने आतंकवाद का मुकाबला, रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी तथा ऊर्जा सहित परस्पर हित के अनेक क्षेत्रों में नए सहकार्यों की शुरुआत की संभावनाओं की तलाश की। महामहिम शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने जॉर्डन की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ कार्य करने के लिए भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहित करने की तीव्र इच्छा व्यक्त की। शैक्षिक संस्थानों के बीच 16 समझौता ज्ञापनों और करारों को अंतिम रूप दिया गया। मेरी यात्रा के दौरान अम्मान के एक प्रमुख मार्ग का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया।
शाह अब्दुल्ला ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र मुख्य सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी तथा संयुक्त राष्ट्र सुधार की जारी प्रक्रिया का समर्थन किया। शाह अब्दुल्ला द्वितीय और मैंने भारत को निर्यात हेतु फास्फोरिक एसिड के उत्पादन के लिए इफको और जॉर्डन फॉस्फेट माइन्स कंपनी के बीच एक संयुक्त उद्यम 860 मिलियन अमरीकी डॉलर वाली परियोजना जॉर्डन-भारत फर्टिलाइजर कंपनी का उद्घाटन किया। मेरी अपील के प्रत्युत्तर में शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने जॉर्डन से भारत को फास्फेट की आपूर्ति की दीर्घकालीन व्यवस्था करने तथा फास्फोरिक एसिड,रॉक फॉस्फेट तथा डीएपी की मांग को पूरा करने के लिए और संयुक्त उद्यम स्थापित करने की इच्छा जताई। मैंने परियोजना सहायता तथा आईटीईसी स्थानों की संख्या 30 से 50 बढ़ाने ॒के लिए जॉर्डन को 100मिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण की घोषणा की। मैंने महामहिम शाह अब्दुल्ला तथा महारानी रानिया को अति शीघ्र भारत की राजकीय यात्रा करने का निमंत्रण दिया जिसे उन्होंने विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया।
फिलस्तीन
फिलस्तीन में राष्ट्रपति महमूद अब्बास, प्रधामंत्री डॉ. रामी हमदल्लाह तथा प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने मेरा अत्यंत हार्दिक और प्रेमपूर्वक स्वागत किया। राष्ट्रपति अब्बास ने मुझे इजराइल-फिलस्तीन संबंधों की विकसित स्थिति की संक्षिप्त जानकारी दी और यह बल दिया कि वे फिलस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का प्रयास कर रहे हैं।
मैं फिलस्तीन मुद्दे के प्रति भारत के सैद्धांतिक सहयोग को दोहराता हूं और वार्तागत समाधान की आवश्यकता पर जोर देता हूं जिससे एक संयुक्त, स्वतंत्र, व्यवहार्य और संगठित फिलस्तीन देश जिसकी राजधानी पूर्व येरूशलम हो तथा वह सुरक्षित और मान्यताप्राप्त सीमाओं के भीतर हो। इसके साथ आज क्वार्टेट रोडमैप और संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुमोदन के अनुसार इजराइल के साथ शांतिपूर्ण ढंग से रहे।
राष्ट्रपति अब्बास ने हमारे सहयोग की सराहना की और किसी देश के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर रामल्लाह में रात्रिनिवास के लिए अत्यंत हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने हमें केवल मित्र ही नहीं बल्कि सम्मानपूर्वक भाई बताया। उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि वे महात्मा गांधी के पदचिह्नों का अनुकरण करने वाले शांति के दूत हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि फिलस्तीन के लिए अहिंसा ही एक स्वतंत्र फिलस्तीन राष्ट्र के स्वप्न को साकार करने का एकमात्र रास्ता है।
मैंने फिलस्तीन के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की छात्रवृत्तियां प्रतिवर्ष 10 से बढ़ाकर 25 तथा आईटीईसी स्थान 50 से 100 बढ़ाने की घोषणा की। हमने फिलस्तीन प्रशासन को बजटीय सहयोग के रूप में 5 मिलियन अमरीकी डॉलर का एक चेक सौंपा।
मैंने रामल्लाह के राष्ट्र उद्यान में स्थापित महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा राष्ट्रपति अब्बास के साथ मिलकर ‘मैदान अल हिंद’ नाम से एक चौराहे का उद्घाटन किया। मैं भारत के एक घनिष्ठ मित्र यासर अराफात, जिससे मैं अनेक अवसरों पर व्यक्तिगत रूप से मिला था, के मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मैंने अलकुद्स विश्वविद्यालय में भारत-फिलस्तीन सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन किया तथा इन्हीं लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ गाजा में लगभग 1 मिलियन अमरीकी डॉलर लागत से एक ओर भारत-फिलस्तीन सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र का निर्माण के भारत के निर्णय की घोषणा की। मैंने 12 मिलियन अमरीकी डॉलर की अनुमानित लागत से रामल्लाह में एक सूचना प्रौद्योगिकी पार्क तथा 4.5 मिलियन अमरीकी डॉलर की अनुमानित लागत से एक फिलस्तीन राजनय संस्थान की स्थापना करने के भारत सरकार के निर्णय की घोषणा की।
हमारे दोनों देशों के उत्कृष्ट संस्थानों के बीच भारत-फिलस्तीन उच्च शिक्षा गोलमेज बैठक हुई तथा अलकुद्स विश्वविद्यालय में एक भारतीय पीठ की स्थापना की घोषणा की गई। कुल मिलाकर इस यात्रा के दौरान छह समझौता ज्ञापनों और करारों पर हस्ताक्षर किए गए। मैंने राष्ट्रपति अब्बास को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया तथा उन्होंने मुझे शीघ्र आने का आश्वासन दिया।
इजराइल
इजराइल में राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन; प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू तथा नेसेट के अध्यक्ष यूली-योअल एडेलस्टीन ने मेरा अत्यंत हार्दिक और मैत्रीपूर्ण स्वागत किया। हमने अपने बहुआयामी संबंधों की समीक्षा की तथा हमारे दोनों देशों के आपसी लाभ के लिए उन्हें बढ़ाने के उपाय खोजे। मैंने नेसेट को संबोधित करने के आमंत्रण से अत्यंत सम्मानित अनुभव किया तथा मैं भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए सांसदों के बीच मौजूदा उत्साह से अभिभूत हुआ। अपने सांसदों के साथ मेरी विपक्ष के नेता ईसाक हर्जोग और उनके सहयोगियों के साथ विस्तृत बातचीत हुई।
मैंने माउंट हर्जल की यात्रा की तथा वर्ल्ड सेंटर फॉर होलोकॉस्ट रिसर्च, याद वाशेम में विभीषिका के शिकार लोगों के प्रति श्रद्धा प्रकट की। वहां मेरे साथ राष्ट्रपति रिवलिन थे। मैंने थियोडोर हर्जल के स्मारक पर पुष्पहार भी अर्पित किया।
मैंने इजराइल को भारत का एक सबसे महत्वपूर्ण मित्र बताया तथा हमारे संबंध के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को पुन: सशक्त बनाने के लिए हमारे दोनों देशों की आवश्यकता जताई। इजराइल ने भारत की बेहद जरूरत के समय भारत को रक्षा उपकरण, प्लेटफॉर्म और प्रणालियां मुहैया करवाई हैं। हमने सौर ऊर्जा,डेयरी विकास,जल प्रबंधन,बागवानी, पशुपालन और कृषि तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा इजराइली अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सहयोग का विस्तार करने पर विचार-विमर्श किया। प्रधानमंत्री नेतान्याहू और मैंने हमारे व्यापार और आपसी निवेश को विविध बनाने की नई संभावनाओं और सहकार्यों पर चर्चा की। मैंने इजराइली नेतृत्व को भारत में निर्माण, डिजीटल इंडिया, गंगा स्वच्छता, स्मार्ट शहर, स्टार्ट-अप भारत आदि जैसी भारत सरकार की अनेक पहल के बारे में जानकारी दी तथा इजराइली कंपनियों को निवेश और भागीदारी के लिए आमंत्रित किया।
मैंने राष्ट्रपति रिवलिन तथा प्रधानमंत्री नेतान्याहू को भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया। राष्ट्रपति रिवलिन ने मेरा आमंत्रण स्वीकार किया तथा शीघ्र आने के अपने इरादे की पुष्टि की। मैंने इजराइली सांसदों को भी भारत आने तथा अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत करने का निमंत्रण दिया।
नोबेल पुरस्कार विजेता तथा पूर्व इजराइली राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज ने एक पुराने मित्र के रूप में मुझसे भेंट की। उन्होंने मेरी यात्रा को आशा और शांति से भरपूर बताया। उन्होंने कहा कि अपनी विविधता और बहुसांस्कृतिक समाज के साथ भारत इजराइल तथा अन्य देशों के लिए एक आदर्श है।
सरकारों के बीच दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत और इजराइल के शैक्षिक संस्थानों के बीच आठ समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान भी हुआ। इससे दोनों देशों के बीच उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा तथा संयुक्त अनुसंधान, छात्रवृत्तियां आदि प्राप्त होंगी।
सार्वजनिक टिप्पणी के तौर पर, मैंने हाल की कुछ हिंसक घटनाओं पर दुख व्यक्त किया तथा सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की और सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया।
सभी तीनों देशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों जॉर्डन विश्वविद्यालय, अलकुद्स विश्वविद्यालय तथा हिब्रू विश्वविद्यालय ने मुझे डॉक्टरेट की मानद उपाधियां प्रदान की जिन्हें मैंने भारत के प्रति उनकी मैत्री और सम्मान के प्रतीक के तौर पर विनम्रतापूर्वक ग्रहण किया। मैंने अम्मान और येरूशलम में भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों को भी संबोधित किया।
मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए हार्दिक आतिथ्य सत्कार के लिए मैं जॉर्डन, फिलस्तीन और इजराइल के अपने मेजबानों का आभार व्यक्त करता हूं। इन यात्राओं से हमारे परस्पर लाभकारी रिश्तों को घनिष्ठ बनाने में मदद मिलेगी। मैं इस विश्वास के साथ लौटा हूं कि तीनों देशों की सरकारें भारत के साथ संबंधों को और ऊंचे स्तर पर ले जाने के लिए उत्सुक हैं। भारत आने वाले समय में जॉर्डन, फिलस्तीन तथा इजराइल के साथ अपनी साझीदारी बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करेगा।
यह विज्ञप्ति 11:30 बजे जारी की गई।