कन्फेडेरेशन ऑफ नॉर्वेजियन एन्टरप्राइज द्वारा आयोजित व्यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की संयुक्त संगोष्ठी के पूर्ण सत्र में भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

ओस्लो, नार्वे : 14-10-2014

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Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The Plenary Session Of The Joint Seminar On Business, Science And Technology Held At Confederation Of Norwegian Enterprise (Nho)महामहिम, नरेश,

विशिष्ट अतिथिगण,

देवियो और सज्जनो,

1. दोनों देशों के व्यावसायिक प्रतिभागियों, अकादमिकों तथा वैज्ञानिकों की इस विशिष्ट सभा को संबोधित करना सौभाग्य की बात है। आप सभी की हमारे दोनों देशों के बीच मौजूद संबंधों को मजबूत और प्रगाढ़ बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत और नॉर्वे के रिश्ते परंपरागत रूप से गर्मजोशी भरे और मित्रतापूर्ण रहे हैं जो बहुदलीय लोकतंत्र, खुले समाजों,कानून के शासन,जीवंत प्रेस तथा स्वतंत्र न्याय प्रणाली के प्रति हमारी साझी प्रतिबद्धता पर आधारित हैं। बहुत से क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हमारे नजरिए समान हैं।

2. हमारे बीच पोत-परिवहन तथा सामुद्रिक व्यापार, तेल एवं गैस, सूचना प्रौद्योगिकी, वस्त्र,खनिज,सामग्री एवं मशीन आदि जैसे विभिन्न सेक्टरों में आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध हैं। वर्ष2013-14 के दौरान हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच करीब एक बिलियन अमरीकी डालर का व्यवसाय रहा और मेरा मानना है कि यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं के तुलनात्मक आकार का सही प्रतीक न होकर केवल हमारे बीच मौजूद आर्थिक और वाणिज्यिक लेनदेनों की संभावना का प्रतिबिंब है। मुझे भारत और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच, जिसमें नॉर्वे चार में से एक सदस्य है, व्यवसाय और निवेश करार पर जारी बातचीत के शीघ्र पूर्ण होने की उम्मीद है। मेरी इस यात्रा में,मेरे साथ वित्तीय सेवा, बंदरगाह, रक्षा, समुद्री भोजन, तेल एवं गैस,ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, जल विद्युत, सूचना और प्रौद्योगिकी विनिर्माण तथा औषधि जैसे सेक्टरों के उद्योगों के प्रमुख आए हुए हैं। मुझे विश्वास है कि वे अपने नॉर्वे के समकक्षों के साथ परस्पर लाभदायक व्यापारिक साझीदारी के लिए रिश्ते बनाएंगे।

3. खरीद शक्ति समानता के आधार पर भारत, विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वर्ष2004-05 से 2013-14 के पिछले दशक के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था7.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की औसत दर से बढ़ी। निरंतर वैश्विक मंदी और अन्य कारणों से पिछले दो वर्षों के दौरान हमारी सकल घरेलू उत्पाद विकास दर पांच प्रतिशत से नीचे रही। तथापि,मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वापसी की हरी कोंपले स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। मौजूद वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था ने5.7 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की है। हमारा बाह्य सेक्टर पहले ही मजबूत है तथा हमारा मौजूदा लेखा घटा जो2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद का 4.7 प्रतिशत था 2013-14 में घटकर 1.7प्रतिशत रह गया है। वित्तीय सशक्तीकरण की दिशा में डीजल की कीमतों पर से नियंत्रण हटाने जैसे कदमों के सकारात्मक परिणाम दिखाई दिए हैं। वर्ष2016-17तक वित्तीय घाटे को धीरे-धीरे सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक कम करने का हमारा लक्ष्य अब आवश्यक प्राप्त करने योग्य लगता है। पिछले3 वर्षों के दौरान मुद्रास्फीति की दर कम हुई है तथा हमें उम्मीद है कि हम इसे नीतिगत उपायों के उचित मिश्रण से5 प्रतिशत से नीचे बनाए रखने में सफल होंगे। हमारा कृषि सेक्टर बेहतर ढंग से कार्य कर रहा है। भारत का गेहूं और चावल दोनों के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है। पिछले वर्ष264.8 मिलियन टन के अभूतपूर्व खाद्यान उत्पादन से कृषि सेक्टर को वर्ष2013-14 में 4.7 प्रतिशत की अच्छी दर से बढ़ने में सहायता मिली। निवेश की बहाली,वृहत आर्थिक स्थाईत्व की मजबूती तथा अवसंरचना के संवर्धन के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों से भारत निश्चय ही7-8 प्रतिशत की उच्च विकास दर पर वापस लौटेगा।

4. वर्ष 2011-12में 46.6 बिलियन अमरीकी डालर के उच्चतम् विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ भारत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का सबसे पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है। मुझे विश्वास है कि वैश्विक व्यवसाय की इच्छा की बहाली के चलते हम पर्याप्त विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त करने में सफल होंगे। भारत में एक बढ़ती तथा महत्वकांक्षी मध्यमवर्ग, बढ़ती हुई प्रति व्यक्ति आय तथा युवा कामकाजी जनसंख्या है और ये सब एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं और विदेशी निवेशक इसमें रुचि दिखा रहे हैं। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को और सुविधाजनक बनाने के लिए हमने बीमा तथा रक्षा विनिर्माण जैसे सेक्टरों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा और बढ़ाई गई है तथा रेल अवसंरचना में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की100प्रतिशत अनुमति प्रदान की दी है। इससे विदेशी निवेशकों के विश्व स्तरीय गंतव्य के रूप में हमारी छवि में और मजबूती आएगी। तथापि,मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि अप्रैल 2000 से अब तक भारत में कुल 228 बिलियन अमरीकी डालर के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में से नॉर्वे से केवल164 मिलियन अमरीकी डालर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त हुआ है। जो हमारे आर्थिक संबंधों में मौजूद व्यापक क्षमता के अनुरूप नहीं है। मुझे विश्वास है कि नॉर्वे का उद्योग अब भारत में मौजूद निवेश के नए अवसरों का पूर्ण उपयोग करेंगे। भारत के बड़े प्रतिभा भंडार तथा नॉर्वे के प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय निवेशों के मिलने से हमारे आर्थिक रिश्ते एक नई ऊंचाई प्राप्त करेंगे।

5. पूंजी बाजार सहित, नॉर्वे का समग्र निवेश वर्ष2012 के 4 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर2013 में 8 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया। यह प्रगतिशील भारतीय बाजार में नॉर्वे के निवेशकों,खासकर पोर्टफोलियो निवेशकों, द्वारा देखी जा रही संभावनाओं का प्रतीक है। इस संदर्भ में मैं गवर्नमेंट पेंशन फंड - ग्लोबल ऑफ नॉर्वे का विशेष उल्लेख करना चाहूंगा जो लगभग900 बिलियन अमरीकी डालर के कोष के साथ विश्व का सबसे बड़ा सरकारी वित्त कोष है। इस फंड से भारत के इक्विटी और नियत आय परिसंपत्तियों में केवल4 बिलियन अमीरीकी डालर का निवेश किया गया है। भारत की विशाल विकास संभावनाओं को देखते हुए मुझे उम्मीद है कि यह फंड हमारी अर्थव्यवस्था में अपने निवेश को काफी अधिक बढ़ाएगा।

6. हमने भारत में विनिर्माण सेक्टर में अपनी कोशिशों को फिर से ध्यान केंद्रित किया है। वर्ष2011 में हमने एक नीति शुरू की है जिसमें हमारे सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण कां योगदान वर्तमान15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 में 25 प्रतिशत तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई थी। हम भारत को विनिर्माण का प्रमुख केन्द्र बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हम विनिर्माण केंद्र तथा कृषि उत्पादों से लेकर वाहनों के पुर्जे और मंहगी सेवाओं जैसे विभिन्न वस्तुओं के निर्यात के प्रमुख केन्द्र बनने के अपने मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। हमारे बहुत से औद्योगिक सेक्टर आज वैश्विक स्पर्धा के योग्य हैं तथा अपनी गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में उनकी प्रशंसा होती है। भारत सरकार बाधारहित,अनुमान योग्य, सुविधाजनक तथा पारदर्शी व्यापारिक परिवेश के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य से भारत ने एकल खिड़की अनुमति,ई-बिजनेस पोर्टल, निवेश सहायक सेलों का गठन करते हुए देश को निवेश अनुकूल गंतव्य बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी‘भारत में निर्माण’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। मुझे विश्वास है कि नार्वे के निवेशक हाल ही में शुरू की गई नीतियों का पूरा लाभ उठाएंगे।

7. अवसंरचना सेक्टर हमारी अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र है। अगले कुछ वर्षों में हमारी अवसंरचना पर एक ट्रिलियन अमरीकी डालर खर्च करने की परिकल्पना है। जिनमें ऐसी नई परियोजनाएं भी हैं जिनमें नॉर्वे की ऊर्जा कंपनियों को बहुत अवसर मिल सकते हैं। आपका देश जल-विद्युत में उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रमुख केन्द्र है तथा हमारी सरकारों के बीच इस क्षेत्र में बहुत सहयोग की संभावना है। भारत को अपनी प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए लगातार बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए अपनी ऊर्जा निर्माण क्षमता में वृद्धि करनी होगी। मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों देश आपसी लाभ के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं। भारत में तेल एवं गैस,पोत-परिवहन,मशीन तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों जैसे विभिन्न सेक्टरों में निवेश के लिए नॉर्वे की कंपनियों के लिए काफी संभावनाएं हैं। अवसंरचना में अधिक से अधिक निवेश के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए हमने औद्योगिक गलियारा,औद्योगिक अवसंरचना उच्चीकरण स्कीम, राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण जोन,औद्योगिक संकुल तथा स्मार्ट शहर जैसी सुविधाएं और स्कीमें स्थापित की हैं। अवसंरचना के विकास से न केवल हमारे देश में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि ऐसी विदेशी कंपनियों को,जो भारत में निवेश कर रही है, भी हमारे विकास में सहभागिता करने तथा फायदा उठाने में सहायता मिलेगी।

मुझे यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि नॉर्वे उस सूची में शामिल होगा जिन्हें शीघ्र ही देश में पहुंचने पर पर्यटन वीजा की सुविधा प्रदान की जाएगी जिससे नॉर्वे के नागरिकों को भारत की यात्रा करने में सुविधा होगी।

8. पर्यावरण,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,उच्च शिक्षा,हाइड्रोकार्बन, संस्कृति, स्थानीय शासन तथा सामुद्रिक मामलों पर हमारे दोनों देशों के बीच स्थापित संयुक्त कार्यकारी समूहों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में पूर्ण रूपांतरण की क्षमता है। आज रक्षा सेक्टर में अनुसंधान पर जिस आशयपत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं वह विभिन्न उच्च प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में हमारे संबंधों की प्रगाढ़ता तथा हमारे साझा कार्यनीतिक लक्ष्यों का प्रतीक है।

9. भारत में उच्च शिक्षा सेक्टर को प्राथमिकता प्राप्त है तथा यह तीव्र गति से बढ़ रहा है। उच्च अध्ययन के बहुत से नए संस्थान या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर स्थापित हो रहे हैं। भारत में आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मौलिक अनुसंधान पर बहुत जोर दिया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि इससे हमें जलवायु परिवर्तन, खाद्य एवं पेयजल सुरक्षा तथा सतत् स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों जैसे मुद्दों के बेहतर प्रबंधन में सहायता मिलेगी। भारत और नॉर्वे के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा अनुसंधान एवं नवान्वेषण के क्षेत्र में सहयोग में प्रगाढ़ता आनी चाहिए तथा इन उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। हमें ऐसा माहौल भी तैयार करना होगा जिसमें हमारे दोनों देशों के संकायों तथा विद्यार्थियों के बीच आदान-प्रदान को सुविधा मिले तथा संयुक्त पाठ्यक्रमों और उपाधियों और उद्यमिता को बढ़ावा मिले। मेरे साथ इस शिष्टमंडल में प्रमुख भारतीय संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविद् हैं जो निसंदेह इन विचारों को नॉर्वे के अपने समकक्षों के साथ आगे आने वाली बैठकों में अपने विचार-विमर्शों के दौरान आगे ले जाएंगे। महामहिम,

10. मुझे यह उल्लेख करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि भारत और नॉर्वे राजनयिक वीजा छूट;अनुसंधान एवं विकास;संयुक्त ज्ञान आदान-प्रदान कार्यक्रम; संकाय,वैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता आदान-प्रदान; तथा अनुसंधान सामग्री और सूचना के आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में हमारी सरकारों के बीच सहयोग के लिए तैयार समझौता ज्ञापनों और करारों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। यह खुशी की बात है कि सरकारी करारों के अलावा फिश बायोटेक प्रा.लि. (इंडिया) तथा अकवा ग्रुप एएसए के बीच दिल्ली के करीबमछली पालन परियोजना का संयुक्त उद्यम लगाने के लिए भी एक करार पर हस्ताक्षर हो रहे हैं। इस परियोजना में नॉर्वे से प्राप्त उन्नत पुनर्चक्रण मत्स्यपालन प्रणाली प्रौद्योगिकी के साथ नियंत्रित माहौल में सघन ‘एक्वापोनिक्स’का प्रयोग किया जाएगा।

11. मैं,नॉर्वे के व्यापार एवं उद्योग मंत्री,सुश्री मोनिका मालंद को, सीआईआई, एनएचओ (नॉर्वे के उद्यमियों के परिसंघ) को तथा एनआईसीसीआई (नॉर्वे-इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स) को बधाई देना चाहूंगा जो द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों सरकारों के साथ मिलकर निकट से कार्य कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि सभी भागीदारों के समर्पित प्रयासों से हमारे दो महान देशों के बीच आर्थिक तथा व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा मिलेगी और उनमें फिर से ऊर्जा का संचार होगा। मुझे भारत में2015 की प्रथम तिमाही में प्रस्तावित द्वितीय इंडिया-सेंट्रल यूरोप बिजनेस फोरम में भाग लने के लिए नॉर्वे के व्यापारियों को आमंत्रित करते हुए प्रसन्नता हो रही है।

12. मैं,हमारे दोनों देशों के आप सभी उद्योग एवं व्यवसाय प्रमुखों,अकादमिकों तथा वैज्ञानिकों की, आपके भावी कार्यों में प्रगति तथा आपके प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

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