भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की।
हमारे कूटनीतिक प्रयास देश की घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य के अनुसार होने चाहिए: राष्ट्रपति मुर्मु
राष्ट्रपति भवन : 19.08.2025
भारतीय विदेश सेवा (2024 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज 19 अगस्त, 2025 को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने उन्हें भारतीय विदेश सेवा में चयनित होने के लिए बधाई दी और कहा कि उन्हें अपनी सेवा में आरम्भ से ही देश की सभ्यता से मिले मूल्यों - शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद - को साथ लेकर चलना है। साथ ही, उन्हें अपने आसपास की संस्कृति के विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों के प्रति अपना नजरिया खुला रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आसपास की दुनिया में तेज़ी से भू-राजनीतिक बदलाव, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और बदलते बहुपक्षवाद से जुड़े परिवर्तन हो रहे हैं। युवा अधिकारियों के रूप में, उनकी सजगता और परिवर्तनशीलता हमारी सफलता का आधार बनेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज, भारत दुनिया के समक्ष प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है - चाहे वह ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच असमानता से जुड़े मुद्दे हों, सीमा पार आतंकवाद के खतरे हों, या जलवायु परिवर्तन के मुद्दे हों। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही, साथ ही एक निरंतर आगे बढ़ने वाली आर्थिक शक्ति भी है। आज हमारी बात को महत्व दिया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया उनकी बातों, कार्यों और मूल्यों के रूप में राजनयिकों को भारत के प्रथम चेहरे के रूप में देखेगी।
राष्ट्रपति ने आज के समय में सांस्कृतिक कूटनीति के बढ़ते महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हृदय और अंतरात्मा से बने संबंध स्थाई होते हैं। चाहे वह योग, आयुर्वेद और श्रीअन्न हो, या भारत की संगीत, कलात्मक, भाषाई और आध्यात्मिक परंपराएँ हों, अधिक रचनात्मक और महत्वाकांक्षी प्रयासों से अपनी विशाल विरासत को विदेशों में प्रदर्शित और प्रचारित किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राजनयिक प्रयास देश की घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य के अनुसार होने चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे स्वयं को केवल भारत के हितों का संरक्षक ही नहीं मानें, बल्कि उसकी अंतरात्मा का राजदूत भी मानें।