भारत की राष्ट्रपति राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 02.12.2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 2 दिसंबर, 2023 को नागपुर, महाराष्ट्र में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार का किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों के नाम भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा 60 से अधिक पेटेंट पंजीकृत हैं। विद्यार्थियों में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय में एक इन्क्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किया गया है। उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों से स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान और नवाचार करने और उन नवाचारों को लागू करने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव है। कोई भी संस्थान दुनिया से कट कर नहीं रह सकता है। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अंतर-विषयक अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान और नवाचार को एक-दूसरे के साथ साझा करके ही हम दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संसाधन का उपयोग अथवा दुरुपयोग किया जा सकता है। यही तथ्य प्रौद्योगिकी के साथ भी लागू होता है। अगर हम इसका सदुपयोग करेंगे तो इससे देश और समाज का भला होगा और अगर दुरुपयोग करेंगे तो मानवता का नुकसान होगा। आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हमारे जीवन को सुगम बना रहा है। लेकिन डीप-फेक के लिए इसका उपयोग समाज के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में नैतिक शिक्षा हमें रास्ता दिखा सकती है।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक डिग्री प्राप्त करना शिक्षा का अंत नहीं है। उन्हें जीवन भर जिज्ञासु बने रहना चाहिए और सीखते रहना चाहिए। आज जब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहे है तब निरंतर सीखते रहना और भी आवश्यक हो जाता है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि वे राष्ट्र और समाज की संपत्ति हैं। भारत का भविष्य उनके कंधों पर है। उनके जीवन में विपरीत परिस्थितियां आ सकती हैं लेकिन इन्हें इनसे घबराना नहीं है। उन्होंने उन्हें अपने ज्ञान और आत्मबल से उन परिस्थितियों का मुक़ाबला करने, अपने चाहने वालों से जुड़े रहने और अपनी योग्यताओं पर विश्वास रखने की सलाह दी।