भारत की राष्ट्रपति, पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
विश्व बंधुत्व की भावना, प्राचीन वैदिक ज्ञान एवं नूतन वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय, तथा वैश्विक चुनौतियों का समाधान आधुनिक संदर्भों में भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ा रहा है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति भवन : 02.11.2025
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 2 नवंबर, 2025 को पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की महान विभूतियों ने मानव- संस्कृति के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया है। मुनियों में श्रेष्ठ, महर्षि पतंजलि ने योग के द्वारा चित्त की, व्याकरण के द्वारा वाणी की तथा आयुर्वेद के द्वारा शरीर की अशुद्धियों को दूर किया। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा महर्षि पतंजलि की महती परंपरा को आज के समाज के लिए सुलभ कराया जा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा योग-पद्धति, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्रों में शिक्षा एवं अनुसंधान को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है जो स्वस्थ भारत के निर्माण में सहायक है।
राष्ट्रपति ने पतंजलि विश्वविद्यालय के भारत-केंद्रित शिक्षा-दृष्टि पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि विश्व बंधुत्व की भावना, प्राचीन वैदिक ज्ञान एवं नूतन वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय, तथा वैश्विक चुनौतियों का समाधान आधुनिक संदर्भों में भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ा रहा है के दृष्टिकोण वाली शिक्षा आधुनिक संदर्भों में भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ा रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के आदर्शों के अनुरूप शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने यह महसूस किया होगा कि पर्यावरण का संरक्षण करना तथा जीवनशैली को प्रकृति के अनुरूप ढालना मानव समुदाय के भविष्य के लिए अनिवार्य है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वमंगल की कामना हमारी संस्कृति की पहचान है। इस मंगलकामना से ही समरसता एवं समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समरसता के जीवन-मूल्य को कार्यरूप देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्ति-निर्माण से परिवार-निर्माण होता है। परिवार-निर्माण से समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने व्यक्ति-निर्माण से राष्ट्र-निर्माण का मार्ग अपनाया है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थीगण सदाचार के साथ स्वस्थ समाज एवं विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
