भारत की राष्ट्रपति ने कुलाध्यक्ष सम्मेलन 2024-25 का उद्घाटन किया

कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2023 प्रदान किए

भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त करने में आप सबकी निर्णायक भूमिका है: राष्ट्रपति मुर्मु ने उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से कहा

राष्ट्रपति भवन : 03.03.2025

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 3 मार्च, 2025 को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन 2024-25 का उद्घाटन किया। भारत की राष्ट्रपति 184 केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों की कुलाध्यक्ष हैं।

राष्ट्रपति ने अपने उद्घाटन सम्बोधन में कहा कि किसी भी देश के विकास का स्तर उस देश की शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में साफ झलकता है। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से कहा कि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त करने में आप सबकी निर्णायक भूमिका है। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ शोधकार्य पर भी बहुत ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बहुत अच्छे उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षण संस्थान इस महत्वपूर्ण पहल का सदुपयोग करेंगे और शोध को प्रोत्साहित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे उच्च शिक्षण समुदाय की यह महत्वाकांक्षा होनी चाहिए कि हमारे संस्थानों के शोधकर्ताओं को विश्व स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए, हमारे संस्थानों के पेटेंट विश्व में बदलाव ला सकें, तथा विकसित देशों के विद्यार्थी भारत को उच्च शिक्षण के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में चुनें।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के विद्यार्थी विश्व के अग्रणी शिक्षण संस्थानों तथा विकसित अर्थव्यवस्थाओं को अपनी प्रतिभा से समृद्ध बनाते हैं। उन्होंने अपने ही देश में उनकी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब विश्व समुदाय हमारी प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कार्यों को अपनाने के लिए उत्सुक होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के अनेक उच्च शिक्षण संस्थानों की वैश्विक ब्रांड वैल्यू है। इन संस्थानों के विद्यार्थियों को विश्व के सबसे अच्छे संस्थानों और कंपनियों में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दी जाती हैं। लेकिन हमारे सभी संस्थानों को बहुत तेजी से आगे बढ़ना है। हमारे विशाल देश की विशाल युवा जनसंख्या की असीम प्रतिभा का विकास तथा उपयोग करने में आप सबके नेतृत्व की पहचान होगी।

उत्कृष्टता के साथ-साथ सामाजिक समावेश और संवेदनशीलता भी हमारी शिक्षा-व्यवस्था का अनिवार्य पक्ष होना चाहिए। किसी भी प्रकार की आर्थिक, सामाजिक या मनोवैज्ञानिक सीमा, शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने तथा शिक्षा पूरी करने में बाधक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों और शिक्षकों को युवा विद्यार्थियों का ध्यान रखना चाहिए, उनके मन में व्याप्त किसी भी तरह की असुरक्षा को दूर करना चाहिए और उन्हें नैतिक और आध्यात्मिक संबल प्रदान करना चाहिए। उन्होंने उनसे विद्यार्थियों को परामर्श और प्रेरणा देने और परिसरों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का हर संभव प्रयास करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में वैज्ञानिक उपलब्धियों की समृद्ध परंपरा रही है। देश के हर क्षेत्र में भारतीय ज्ञान और विज्ञान की शाखा-प्रशाखाएं देश के हर क्षेत्र में फली-फूली हैं। गंभीर शोध करके ज्ञान और विज्ञान की अमूल्य परंतु विलुप्त धाराओं को फिर से खोजना बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा इकोसिस्टम की यह जिम्मेदारी है कि वह आज के संदर्भ में ऐसी व्यवस्थित रूप से विकसित ज्ञान प्रणालियों का उपयोग करने के तरीके खोजे।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण-संस्थानों में, राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। हमारे नीति- निर्माताओं, आचार्यों, संस्थान के प्रमुखों और वरिष्ठ विद्यार्थियों के आचरण से युवा विद्यार्थी सीखते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी विश्व-स्तरीय सोच के साथ, उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख विकसित भारत के निर्माताओं की पीढ़ी को तैयार करेंगे।

उद्घाटन सत्र के दौरान, राष्ट्रपति ने नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास की श्रेणियों में आठवें कुलाध्यक्ष पुरस्कार प्रदान किए।

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम टैक्नोलोजी में नवीन स्वदेशी नवाचार विकसित करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सरीपेल्ला श्रीकृष्ण को नवाचार के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार दिया गया।

भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अश्विनी कुमार नांगिया को वहनीय लागत पर अधिक प्रभावकारी उच्च जैव पहुंच वाली दवाओं और भेषजों की खोज और विकास में उनके मौलिक अनुसंधान के लिए प्रदान किया गया।

जीव विज्ञान में अनुसंधान के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रीना चक्रवर्ती और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राज कुमार को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। प्रोफेसर चक्रवर्ती को धारणीय मीठाजल की जलीय कृषि में उनके अनुसंधान योगदान के लिए पुरस्कार दिया गया है, जबकि प्रोफेसर राज कुमार को विभिन्न कैंसर हॉलमार्क की खोज और सिंथेटिक एंटीकैंसर लेड मॉलिक्यूल्स के विकास में उनके अनुसंधान योगदान के लिए पुरस्कार दिया गया है।

प्रौद्योगिकी विकास के लिए विजिटर अवार्ड गति शक्ति विश्वविद्यालय के डॉ. वेंकटेश्वरलु चिंताला को लैंडफिल नगरीय मिश्रित प्लास्टिक अपशिष्ट से वाणिज्यिक पैमाने पर पेट्रोल और डीजल उत्पादन में उनके अनुसंधान योगदान के लिए प्रदान किया गया।

कल, सम्मेलन में निम्नलिखित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा - शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में लचीलापन, प्रवेश और निकास के कई विकल्पों वाला क्रेडिट शेयरिंग और क्रेडिट ट्रांसफर; अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रयास और सहयोग; अनुसंधान अथवा नवाचार को उपयोगी उत्पादों और सेवाओं में परिवर्तित करने से संबंधित अनुवाद शोध और नवाचार; एनईपी के संदर्भ में प्रभावी विद्यार्थी चयन प्रक्रिया और विद्यार्थी द्वारा दिए गए विकल्पों पर ध्यान देना; और प्रभावी आकलन व मूल्यांकन। विचार-विमर्शों के परिणाम सम्मेलन के समापन सत्र में राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।

समाचार पत्रिका के लिए सदस्यता लें

सदस्यता का प्रकार
वह न्यूज़लेटर चुनें जिसकी आप सदस्यता लेना चाहते हैं।
सब्सक्राइबर का ईमेल पता