भारत की राष्ट्रपति एम्स, कल्याणी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 30.07.2025
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 30 जुलाई, 2025 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) कल्याणी के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति सचेत डॉक्टरों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वाधीनता के समय औसत जीवन प्रत्याशा केवल 32 वर्ष थी, अब दोगुने से भी अधिक होकर लगभग 70 वर्ष हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है। अनेक बीमारियों पर काबू पाया गया है। उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष भारत को ट्रेकोमा-मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन अभी भी अनेक ऐसी चुनौतियाँ हैं जिनका सामना करने में युवा डॉक्टरों की निर्णायक भूमिका रहेगी। मधुमेह, हृदय रोग और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं पर नियंत्रण करने में डॉक्टरों की भूमिका सरकार और अन्य भागीदारों से भी बड़ी है।
स्नातक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे एम्स, कल्याणी के पहले बैच के सबसे वरिष्ठ पूर्व छात्र हैं। जो प्रतिष्ठा अर्जित करेंगे उसके आधार पर इस संस्थान की पहचान बनेगी। इस प्रकार, वे एम्स कल्याणी के भविष्य- निर्माता भी हैं।
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिदिन हो रहे नए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए, राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को आजीवन सीखने और नए शोध-अनुसंधानों तथा चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहने की सलाह दी।
राष्ट्रपति ने बताया कि कल्याणी शहर के विकास की आधारशिला डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने रखी थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान भी डॉ. बी.सी. रॉय मरीजों की निःशुल्क सेवा करते रहे। उन्होंने एम्स कल्याणी के विद्यार्थियों, आचार्यों और प्रशासकों से एम्स कल्याणी को राष्ट्रीय गौरव का संस्थान बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने गरीबों और वंचितों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के डॉ. बी.सी. रॉय के उदाहरण का अनुसरण करने की भी सलाह दी।
राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से ऐसी जीवनशैली अपनाने को कहा जो सामान्य लोगों के लिए एक उदाहरण बने। उन्होंने कहा कि आनुवंशिक स्थिति की बात अलग है, लेकिन समुचित आहार-विहार और जीवन-शैली के बल पर अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं को काफी सीमा तक समाप्त अथवा समाधान किया जा सकता है। उन्हें इलाज के लिए आने वाले लोगों को दवाओं के अलावा जीवनशैली से जुड़े परामर्श भी दें। डॉक्टर साहब जब कोई सलाह देते हैं तो उसका लोगों पर अधिक असर पड़ता है। डॉक्टर साहब जब स्वयं आदर्श प्रस्तुत करते हैं तो उसका और भी अधिक असर पड़ता है।