भारत की राष्ट्रपति भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुईं

हमारा संविधान विश्व की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्रांति का स्रोत है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

संविधान के आदर्शों और कर्तव्यों को उस अवस्था में आत्मसात करके जब एक बच्चे का जीवन-दृष्टिकोण विकसित हो रहा होता है, एक अच्छे नागरिक के व्यक्तित्व का निर्माण किया जा सकता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 26.11.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 26 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने संविधान निर्माताओं को सादर नमन किया जिन्होंने विश्व इतिहास के सबसे विशाल लोकतंत्र के सबसे बड़े लिखित संविधान को स्वरूप दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान विश्व इतिहास के सबसे बड़े गणराज्य का स्रोत है। यह विविधता में एकता का स्रोत है। यह विषमताओं की पृष्ठभूमि में स्थापित की गई समता का स्रोत है। यह विश्व की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक क्रांति का स्रोत है। यह व्यक्ति की गरिमा और हमारी राष्ट्रीय एकता को सुनिश्चित करने का स्रोत है। यह हमारी बहु-स्तरीय एवं बहु-आयामी शासन व्यवस्था का स्रोत है। यह निरंतरता के साथ परिवर्तन का स्रोत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का संविधान हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ है। संस्थाओं और व्यक्तिगत जीवन को संविधान के मूल्यों के अनुसार संचालित करना हमारा राष्ट्रीय धर्म है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे लिए राष्ट्रीय गौरव का विषय है कि हमारे देश की सामान्य जनता से लेकर विशेषज्ञों तक, संविधान में सबकी आस्था दृढ़तर होती गई है। ‘इस विषय पर संविधान में क्या कहा गया है?’ इस प्रश्न का उत्तर, किसी कार्य अथवा व्यवस्था के उचित होने की कसौटी बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक विधायी दस्तावेज होने के बावजूद, हमारा संविधान जनभागीदारी और व्यापक प्रतिनिधित्व के बल पर जनता का संदर्भ ग्रंथ बन गया है। भावी पीढ़ियाँ संविधान से जुड़ाव महसूस करती रहें इसके लिए बच्चों को संविधान के बारे में रोचक जानकारी दी जानी चाहिए। बच्चों को नागरिक शास्त्र की पुस्तकों में संविधान की शिक्षा दी जाती है।

लेकिन संविधान का एक बाल-सुलभ संस्करण तैयार करना, बच्चों में संविधान के प्रति रुचि और जागरूकता का प्रसार करने में बहुत सहायक सिद्ध होगा। संविधान विशेषज्ञों तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं में बाल-साहित्य के रचनाकारों के संयुक्त प्रयास से यह कार्य किया जा सकता है। जिस अवस्था में बच्चे की जीवन दृष्टि का विकास हो रहा होता है, उसी अवस्था में संवैधानिक आदर्शों और कर्तव्यों को आत्मसात करने से एक अच्छे नागरिक का व्यक्तित्व निर्माण हो सकेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने गहन विमर्श के बाद संसदीय प्रणाली को अपनाया। संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियों, कर्तव्यों और उनसे जुड़ी प्रक्रियाओं का विस्तार से प्रावधान किया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार के ये तीनों अंग अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पारस्परिक समन्वय के साथ हमारी संवैधानिक व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि समन्वयपूर्ण संवैधानिक व्यवस्था से हमारे नागरिक लाभान्वित होंगे तथा हमारा देश विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर अधिक तेज गति से आगे बढ़ेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य सेवाओं की तरह न्याय भी घर-द्वार तक सुलभ कराया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़मीनी स्तर पर सब लोगों को कानूनी सहायता आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें स्वाधीनता के बाद से अब तक की गई प्रगति का मंथन करना चाहिए और सभी को न्याय सुलभ कराने के लिए अथक प्रयास किए जाने चाहिए।

समाचार पत्रिका के लिए सदस्यता लें

सदस्यता का प्रकार
वह न्यूज़लेटर चुनें जिसकी आप सदस्यता लेना चाहते हैं।
सब्सक्राइबर का ईमेल पता