भारत की राष्ट्रपति 'आदि कर्मयोगी अभियान' के राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुईं

जनजातीय परंपराएँ हमें याद दिलाती हैं कि विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य में ही होना चाहिए: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

एक विकसित भारत की ओर अपनी यात्रा के दौरान हमें याद रखना है कि देश और समाज की वास्तविक प्रगति समाज के सभी वर्गों के विकास में निहित है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 17.10.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 17 अक्तूबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 'आदि कर्मयोगी अभियान' के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया और श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों, जिलों, ब्लॉकों और एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसियों को पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि  यह कार्यक्रम प्रशासन को सही अर्थों में सहभागी, समावेशी और लोगों की भागीदारी पर आधारित बनाने के हमारे राष्ट्रीय संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान प्रत्येक आदिवासी गाँव को आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी गाँव बनाने की परिवर्तनकारी सोच के साथ शुरू किया गया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्र के विकास की यात्रा में आदिवासी समुदायों की भी भागीदारी हो और विकास का लाभ भी सभी आदिवासी क्षेत्रों और लोगों तक पहुंचे।  उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय कार्रवाई तंत्र हमारे  जनजातीय भाई बहनों के विकास और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आदि कर्मयोगी के द्वारा ग्राम सभाओं और समुदायों के नेतृत्व वाली संस्थाओं को सशक्त बनाने से जन भागीदारी की भावना को मजबूती मिली है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज की सार्थक भागीदारी से राष्ट्रीय नीति को प्रभावित किया जा सकता है तथा योजनाओं को और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जनजातीय समुदाय देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय परंपराएँ हमें याद दिलाती हैं कि विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य में ही होना चाहिए। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में सरकार ने जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य केवल वित्तीय सहायता देना नहीं, बल्कि  जनजातीय समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, तकनीकी कौशल और शासन में समान भागीदारी के अवसर प्रदान करना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया है और जनजातीय युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आवासीय विद्यालयों और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कौशल विकास और स्व-रोजगार योजनाओं से पारंपरिक कारीगरी, हस्तशिल्प और उद्यमिता को नई दिशा मिली है।  उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इन प्रयासों से न केवल आजीविका के साधन बढ़े हैं बल्कि जनजातीय समुदाय में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना भी मजबूत हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत की यात्रा के दौरान हमें यह याद रखना है कि देश और समाज की वास्तविक प्रगति समाज के सभी वर्गों के विकास में निहित है। उन्होंने आगे कहा कि हमें एक ऐसे समावेशी समाज का निर्माण करना है जहाँ प्रत्येक नागरिक की सार्थक भागीदारी भी हो और वह अपनी नियति स्वयं निर्धारित करने के लिए सशक्त भी हो।

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