कालमेघ
प्रचलित नाम : भूनिम्ब, कल्पानाथ, हरा चिरैयता, कालमेघ
अंग्रेजी नाम : एन्ड्राग्राफिस, क्रियेत
पौध परिचय : कालमेघ तिक्त गुणों वाला, एक वर्षीय-बहुवर्षीय (विशेष कृति परिस्थितियों में), शाकीय पौधा है, जो 60 से 100 से.मी. तक ऊँचा होता है। इसके काण्ड उर्ध्व, चतुष्कोणी, बहुशाखीय तथा प्राय: गाढ़े हरे रंग के होते हैं। पत्तियाँ विपरित पर्णी, आकार में भालाकार
होती है। पुष्प आकार में छोटे तथा दल-चक्र (करोला) रंग में गुलाबी होते हैं। फल सामान्य स्फोटी (कैप्सूल) तथा रूपरेखा में लम्बोतर और दोनों सिरों पर क्रमश: कम चौड़ा, देखने में जौ की तरह होते हैं। प्रत्येक फल में पीजाभ-भूरे रंग के बीज होते हैं।
उपयोगी अंग : सम्पूर्ण पौधा
मुख्य रासायनिक घटक : कालमेघ में कई प्रकार के डाईटरपीनाएड्स पाए जाते हैं जिनमें मुख्य तिक्त एन्ड्रोग्रेफोलाइड एवं प्रमुख अतिक्त यौगिक नियो-एन्ड्रोग्रेफोलाइड है।
औषधीय गुण एवं उपयोग : सम्पूर्ण पौधे में कषाए, दर्द निवारक, शोध प्रतिरोधिता, एम्यूनोसप्रेसिव और एलेक्सीकार्मिक गुण पाए गए हैं, यह त्वचा रोगों, अतिसार, आँव, हैजा, ज्वर, मधुमेह आदि रोगों में लाभदायक है। इस पौधे का काढ़ा रक्तशोधक, असामान्य प्लीजा, यकृत-उत्तेजक,
पीलिया, चर्मरोग, डिस्पेशिया और कृमिरोग के लिए उपयुक्त होता है। इसकी जड़ का काढ़ा एक उद्दीपक, टॉनिक और मृदुरेचक है।
आरंभ में