भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का बोत्सवाना की नेशनल असेंबली में संबोधन

गैबोरोन : 12.11.2025

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आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है। मुझे इस सम्मान के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूँ। बोत्सवाना गणराज्य की नेशनल असेंबली आपके गौरवशाली राष्ट्र के लोकतंत्र का मंदिर है। मैं अपने साथ आप सबके लिए भारत सरकार और 1.4 अरब लोगों की ओर से बधाई और शुभकामनाएँ लेकर आई हूँ।

आज जीवंत शहर गैबोरोन में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। बोत्सवाना की जनता और सरकार द्वारा मेरे और मेरे साथ आए प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी से किए गए स्वागत से मैं सचमुच अभिभूत हो गई हूँ।

इस अवसर पर, मैं बोत्सवाना के महामहिम राष्ट्रपति को बोत्सवाना की राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देती हूँ। मेरे साथ हमारे राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना और संसद सदस्य श्री पी. वसावा और श्रीमती डी. के. अरुणा भी आए हैं।

स्वतंत्रता के बाद बोत्सवाना के परिश्रमी लोगों और दूरदर्शी नेताओं ने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण किया है जो शांति, स्थिरता और समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए सदा तत्पर रहता है। एक साधारण स्थिति से शुरुआत करके एक आधुनिक, विश्वासपूर्ण और समृद्ध समाज के निर्माण तक यहां की गई उल्लेखनीय प्रगति सभी को प्रेरणा देती है।

बोत्सवाना ने लोकतंत्र, सुशासन और प्रभावी नेतृत्व का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे प्रमाणित होता है कि जब लोकतंत्र जनता के कल्याण के लिए कार्य करता है, और जब राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग देश के समग्र विकास और वंचितों व अल्प सुविधाप्राप्त लोगों के उत्थान के लिए किया जाता है तो क्या किया जा सकता है।

माननीय अध्यक्ष महोदय और सदस्यगण,

भारत और बोत्सवाना के बीच मित्रता स्वाभाविक है जो परस्पर विश्वास और आदर, साझा मूल्यों और लोकतंत्र एवं मानव सम्मान में विश्वास पर आधारित है। दशकों से हमारी साझेदारी हमारे पिछले सहयोग और उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए भी मजबूत हुई है।

मुझे खुशी है कि मेरी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हमारी साझेदारी में विस्तार हो रहा है और अगले वर्ष हम, हमारे राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ भी मनाने जा रहे हैं। भारत के राष्ट्रपति की बोत्सवाना की यह पहली यात्रा है, और आपके खूबसूरत देश की यात्रा करने का यह अनुपम सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।

बोत्सवाना की राष्ट्र-निर्माण यात्रा में एक प्रथम साझेदार होना भारत के लिए सम्मान की बात है। हमारा सहयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, कृषि, रक्षा, व्यापार और निवेश जैसे कई क्षेत्रों में बढ़ा है। हालाँकि सहयोग के क्षेत्रों में हमें क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में अपनी निरंतर साझेदारी पर सबसे अधिक गर्व है।

पिछले दशक में ही, बोत्सवाना के एक हज़ार से अधिक युवाओं ने भारत में शिक्षण और प्रशिक्षण प्राप्त किया है, और नए कौशल, व्यापक ज्ञान के साथ स्वदेश लौटे हैं और स्थायी मित्रता को बढ़ाया है। महामहिम, इस प्रकार के जन-जन संपर्क ही वास्तव में हमारी मित्रता और सहयोग के स्थायी संबंधों की असली ताकत और प्रेरक शक्ति रहे हैं।

महामहिम,

लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के नाते हमें अपनी जनता की आशाओं और आकांक्षाओं, विशेषकर अपने युवाओं की अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। ये हमारे भविष्य हैं और वे ही हमारे देशों की भविष्य की दिशा तय करेंगे। आज के युवाओं के लिए केवल शिक्षा और कौशल ही नहीं, बल्कि अपने पेशेवर जीवन को बेहतर बनाने और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में रचनात्मक ऊर्जा लगाने के अवसर दिए जाने की भी आवश्यकता है। इसके लिए हमें मज़बूत और स्थाई आर्थिक विकास करना होगा जो पर्यावरण के लिए भी लाभदायक हो।

हमारी आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं नए अवसर भी उपस्थित कर रही हैं। हमें अपने लोगों के कल्याण के लिए इन नए अवसरों का उपयोग करने की आवश्यकता है। भारतीय कंपनियाँ बोत्सवाना के हीरा, ऊर्जा और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में सक्रियता से कार्य कर रही हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल नवीनता, औषधि और खनन के क्षेत्र में भी सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं। मैं दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों से मिलकर कार्य करने और हमारी आर्थिक साझेदारी की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए कहना चाहूंगी। यह बोत्सवाना सरकार के विज़न 2036 पहल के अनुरूप भी होगा।

आज, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। हम संरचनात्मक सुधारों, डिजिटल परिवर्तन, विस्तारित अवसंरचनाओं और युवा कार्यबल द्वारा संचालित एक मज़बूत विकास पथ पर अग्रसर हैं। भारत की 7-8% की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर है और अगले दशक में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था विकास में भी अग्रणी है। वर्ष 2047 तक "विकसित भारत" के भारत सरकार के विजन का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक पूर्ण विकसित, समावेशी और परिस्थिति-अनुकूल राष्ट्र बनाना है - जिसमें नवाचार- आधारित औद्योगीकरण, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और समान समृद्धि पर ज़ोर रहेगा।

माननीय अध्यक्ष महोदय और सदस्यगण,

हमारे दोनों देशों का समान विचार है कि वैश्विक विकास समावेशी होना चाहिए। प्रौद्योगिकी और प्रगति से पूरी मानवता को लाभ होना चाहिए, न कि केवल कुछ क्षेत्रों को। भारत और बोत्सवाना मिलकर विश्व के लिए एक अधिक निष्पक्ष और स्थाई व्यवस्था बनाने में सार्थक योगदान दे सकते हैं, ऐसी व्यवस्था जो सार्थक वैश्विक दक्षिण सहयोग और एक परिवर्तित बहुपक्षवाद में योगदान तो दे ही साथ ही उसे तैयार करने में भी मदद करे। हम बोत्सवाना सरकार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन और विस्तार करने के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देते हैं।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग के व्यापक संदर्भ में, अफ्रीका की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता है। भविष्य में अफ्रीका महाद्वीप का योगदान रहेगा। अपनी युवा जनसंख्या और विशाल प्राकृतिक संसाधनों के साथ, यह महाद्वीप वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति दे सकता है। वर्ष 2018 में हमारे प्रधान मंत्री द्वारा दिए गए दस सिद्धांतों के आलोक में, भारत, भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के ढांचे के अंतर्गत अफ्रीकी क्षेत्र के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच सहयोग से विश्व की 40 प्रतिशत के हमारे 2.8 अरब लोगों की ऊर्जा को सदुपयोग करने में मदद मिल सकती है।

यह हमारे लिए बड़े संतोष की बात है कि वर्ष 2023 में भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ का G20 के स्थायी सदस्य बना ।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत के वर्ष 2047 तक "विकसित भारत" के विज़न और अफ्रीका के 'एजेंडा 2063' में दोनों देशों के बीच सक्रिय सहयोग के अवसर उपलब्ध हैं। यदि हम अपनी प्रगति को आत्मनिर्भर सकारात्मक तरीके से करें तो हम अपनी वास्तविक आर्थिक क्षमता को हासिल कर सकते हैं और लाखों लोगों की गरीबी मिटा सकते हैं तथा सभी को अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने का अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।

माननीय अध्यक्ष महोदय और सदस्यगण,

हमारे देशों के बीच मित्रता केवल सरकारों के स्तर पर ही नहीं है। यह मित्रता लोगों के एक-दूसरे के सम्मान पर आधारित है और जो एक शांतिपूर्ण एवं समृद्ध भविष्य के लिए समान आशा रखते हैं। बोत्सवाना में रह रहे जीवंत भारतीय लोग एक सदी से भी अधिक समय से हमारी द्विपक्षीय साझेदारी का हिस्सा रहे हैं। जहाँ आपके देश में उनकी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं तब हम इस महान देश की सरकार और लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने भारतीय मूल के भाइयों और बहनों को खुले दिल से अपना माना और उन्हें बोत्सवाना के आर्थिक विकास में योगदान देने और हमारे दोनों देशों के बीच लोगों के परस्पर संबंधों को मजबूत करने का अवसर दिया।

माननीय अध्यक्ष महोदय और सदस्यगण,

भारत बोत्सवाना के साथ सभी क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को और बढ़ाने और अपने विकास अनुभव को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आइए, हम मिलकर कार्य करें और दोनों देशों को समृद्ध बनाने और विश्व की भलाई में योगदान दें।

माननीय अध्यक्ष महोदय और संसद सदस्यगण, मुझे और मेरे प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत करने और मुझे यह सम्मान देने के लिए मैं आपका धन्यवाद करती हूँ। भारत और बोत्सवाना के बीच मित्रता निरंतर बढ़ती रहे।

धन्यवाद! जय हिंद!

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