भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का श्री नारायण गुरु की पावन महासमाधि शताब्दी समारोह में संबोधन

शिवगिरी मठ : 23.10.2025

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ADDRESS BY THE HON’BLE PRESIDENT OF INDIA  SMT. DROUPADI MURMU  AT INAUGURATION CEREMONY OF THE SACRED OBSERVANCE OF SREE NARAYANA GURU’S MAHASAMADHI  CENTENARY

आज हम सब श्री नारायण गुरु की महासमाधि शताब्दी के अवसर पर शिवगिरी की पावन भूमि पर एकत्रित हुए हैं। वे भारत के महान आध्यात्मिक संत और समाज सुधारक थे। इसी स्थान पर श्री नारायण गुरु अपने अंतिम दिनों में रहे और समाधि में गए। वे एक ऐसे संत व दार्शनिक थे जिन्होंने हमारे देश की सामाजिक और आध्यात्मिक स्थिति को प्रभावित किया और पीढ़ियों तक समानता, एकता और मानवता के प्रति प्रेम के आदर्शों में विश्वास की प्रेरणा दी।

श्री नारायण गुरु 19वीं शताब्दी के दौरान हुए अखिल भारतीय पुनर्जागरण के अग्रणी व्यक्ति थे। उन्होंने अपना जीवन लोगों को अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधकार से मुक्ति दिलाने के लिए लगा दिया था। श्री नारायण गुरु समस्त अस्तित्व की एकता में विश्वास करते थे। वे प्रत्येक जीव में ईश्वर की दिव्य उपस्थिति देखते थे। उन्होंने 'मानव मात्र के लिए एक जाति, एक धर्म, एक परमात्मा' का महत्वपूर्ण संदेश दिया। उनकी शिक्षाएँ धर्म, जाति और पंथ की सीमाओं से परे थीं तथा उनका मानना ​​था कि वास्तविक मुक्ति ज्ञान और करुणा से आती है, अंधविश्वास से नहीं आती है। श्री नारायण गुरु ने सदा ही स्वयं के परिष्कार, सादगी और सबके लिए प्रेम पर ज़ोर दिया।

देवियो और सज्जनो,

श्री नारायण गुरु ने मानवता को शाश्वत आदर्श दिए। जातिभेदम् मतद्वेषम् एदुमिल्लादे सर्वरुम् की शिक्षा के माध्यम से, उन्होंने संदेश दिया कि - पूरा विश्व एक परिवार है जहाँ सभी जाति और धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के भाईचारे से रहते हैं।

उन्होंने कई मंदिर, विद्यालय और सामाजिक संस्थाओं की स्थापना कीं जो शिक्षा और नैतिक उत्थान के केंद्र के रूप में कार्य करती रही हैं। इन संस्थाओं में उन्होंने वंचित समुदायों की साक्षरता, आत्मनिर्भरता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया। साथ ही, मलयालम, संस्कृत और तमिल में उनके छंदों में सरलता और गहन दार्शनिक अंतर्दृष्टि दिखती है। उनकी रचनाएँ मानव जीवन और आध्यात्मिकता की उनकी गहरी समझ को दर्शाती हैं।

आज के विश्व में श्री नारायण गुरु का संदेश और भी प्रासंगिक है। एकता, समानता और परस्पर सम्मान का उनका आह्वान मानवता के सामने आने वाले संघर्षों का एक शाश्वत समाधान प्रस्तुत करता है। नारायण गुरु का एकता का संदेश हमें याद दिलाता है कि सभी मनुष्यों में एक ही दिव्य तत्व विद्यमान है।

आज उनके स्मरण दिवस पर, आइए हम उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें। आइए हम प्रत्येक मनुष्य का सम्मान करने, निस्वार्थ सेवा करने और सबमें एक ही दिव्य तत्व देखकर उनका आदर करें।

धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!

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