भारत की राष्ट्रपति राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 28.02.2025
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 28 फरवरी, 2025 को गांधीनगर में राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को सबसे अच्छा माना जाता है। विरासत और विकास के संगम के द्वारा हम न्याय पर आधारित विकसित भारत का निर्माण कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय ने न्यायालयिक विज्ञान की भूमिका को मजबूत बनाने और इस क्षेत्र में सुविधाओं और क्षमता के विकास से जुड़े अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी न्याय व्यवस्था तभी मजबूत मानी जाएगी जब वह सही अर्थों में समावेशी हो। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर और वंचित वर्गों को फोरेंसिक साक्ष्य के आधार पर निष्पक्ष और त्वरित न्याय उपलब्ध कराना होना चाहिए। उन्होंने उनसे देश के सुशासन में योगदान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि तीन नए दंड विधान में अपराध की जांच और साक्ष्य से जुड़े बदलाव किए गए हैं। जिन मामलों में दंड की अवधि सात वर्ष या उससे अधिक है, उन मामलों में अपराध-स्थल पर फोरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा जाकर जांच करना अनिवार्य हो गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में प्रावधान किए गए है कि सभी राज्यों में समयबद्ध तरीके से फोरेंसिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। अनेक कानूनों में समयबद्ध फोरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन बदलावों के फलस्वरूप फोरेंसिक विशेषज्ञों की मांग बढ़ेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक, विशेषकर डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास से फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की क्षमता बढ़ रही है तो दूसरी ओर अपराधियों को भी नए तरीके सूझ रहे हैं। अपराधियों से ज्यादा तेज, तत्पर और सजग रहकर ही हमारी पुलिस व्यवस्था, अभियोजन और दांडिक न्याय प्रणाली से जुड़े लोग अपराध पर नियंत्रण रखने और न्याय सुलभ कराने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के योगदान से एक सुदृढ़ फोरेंसिक प्रणाली का विकास होगा, दोषसिद्धि की दर में वृद्धि होगी तथा अपराधी अपराध करने से डरेंगे।
