भारत की राष्ट्रपति ने वर्ष 2025 के लिए दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए

दिव्यांगजन का समावेश हमारी राष्ट्रीय विकास यात्रा का अभिन्न अंग है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 03.12.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 3 दिसंबर, 2025 को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में वर्ष 2025 के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजन समानता के हकदार हैं। समाज और देश की विकास यात्रा में उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करना सभी हितधारकों का कर्तव्य है, उदारता नहीं। दिव्यांगजनों की बराबर की भागीदारी से ही किसी समाज को वास्तविक अर्थों में विकसित माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस - 2025 का मूल विषय, 'सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दिव्यांगता-समावेशी समाजों को बढ़ावा देना' भी इसी प्रगतिशील विचार को व्यक्त करता है।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हमारा देश कल्याणकारी मानसिकता से आगे बढ़ते हुए दिव्यांगजनों के लिए अधिकार-आधारित, सम्मान-केंद्रित प्रणाली को अपना रहा है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन का समावेश हमारी राष्ट्रीय विकास यात्रा का एक अभिन्न अंग है। वर्ष 2015 से "दिव्यांगजन" शब्द का प्रयोग करने के निर्णय के पीछे  दिव्यांगजनों के प्रति विशेष सम्मान देने का भाव-बोध है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार दिव्यांगजनों के समावेश और सशक्तिकरण की दिशा में इकोसिस्टम को मजबूत बनाया जा रहा है। उनके लिए सांकेतिक भाषा से जुड़े शोध और प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास और खेल प्रशिक्षण जैसे विविध क्षेत्रों में दिव्यांगजन के हित में राष्ट्रीय स्तर पर अनेक संस्थानों की स्थापना की गई है। लाखों दिव्यांगजनों को विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र जारी किए गए हैं, जिससे वे विशेष सुविधाओं से लाभान्वित हो सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजनों के हितों के प्रति सरकार के साथ-साथ समाज को भी जागरूक और सक्रिय रहना चाहिए। इससे सरकार के प्रगतिशील प्रयासों को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों की गरिमा, आत्मनिर्भरता और आत्म-गौरव को सुनिश्चित करना सभी देशवासियों की जिम्मेदारी है। सभी देशवासियों को सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के प्रयासों में दिव्यांगजनों को भागीदार बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

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